भारत के विकसित राष्ट्र बनने के प्रयासों के बीच नीति आयोग बढ़ती ऊर्जा मांग को पूरा करने के लिए उत्सर्जन को कम करने और परिवहन, वाहन, कृषि, उद्योग, खाना पकाने तथा बिजली सहित विभिन्न क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा की पहुंच बढ़ाने के लिए व्यापक रूपरेखा बना रहा है। इस घटनाक्रम से अवगत तीन वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने यह जानकारी दी है। यह पहल भारत की नेट-जीरो लक्ष्यों को हासिल करने के लिए आंकड़ों की बदलती स्थिति की पहचान की जरूरत से जुड़ी है। एक अधिकारी ने कहा, ‘व्यवस्था में नवीकरणीय और जीवाश्म ऊर्जा को शामिल करना आवश्यक है।’
नए अनुमानों को ध्यान में रखते हुए नीति आयोग इन बदलते रुझानों पर नजर रख रहा है। एक अधिकारी ने कहा कि चूंकि ऊर्जा की मांग में तीन से चार गुना वृद्धि होने का अनुमान है, इसलिए इसे टिकाऊ तरीके से, मुख्य रूप से स्वच्छ ऊर्जा के माध्यम से पूरा करना प्राथमिकता है। ऐसा करने में आयोग अपने इंडिया एनर्जी सिक्योरिटी सिनेरियोज (आईईएसएस) मॉडल को दोबारा तैयार कर रहा है, जो हरित-ऊर्जा नीतियों के व्यापक प्रभाव का आकलन करता है, विश्लेषण को 2047 से आगे 2070 तक बढ़ाया जा रहा है।
अधिकारी ने कहा, ‘मूल रूप से ऊर्जा मॉडल 2047 के लिए विकसित किया गया था, लेकिन हम अब इसे 2070 तक के लिए अपग्रेड कर रहे हैं। यह बॉटम-अप मॉडल होगा।’ मॉडल का उद्देश्य आपूर्ति और मांग दोनों को संतुलित बनाना है। इस मॉडल में बिजली, नवीकरणीय ऊर्जा और जैव ऊर्जा जैसे आपूर्ति क्षेत्र शामिल हैं। साथ ही परिवहन, वाहन, कृषि, उद्योग और खाना पकाने जैसे क्षेत्र भी इसमें हैं। औद्योगिक क्षेत्र ऊर्जा मांग का सबसे बड़ा हिस्सा है।
अधिकारी ने कहा, ‘देखा जा रहा है कि मांग और आपूर्ति से जुड़े सभी क्षेत्रों को उनकी गतिविधियों के साथ 2047 और 2070 के बीच कितनी ऊर्जा चाहिए।’ इस प्रणाली ने नीति आयोग को विकसित भारत के लिए लक्ष्यों की पहचान करने में सहायता की है, जिसका अंतिम लक्ष्य 2047 तक 30 लाख करोड़ डॉलर का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) हासिल करना है। मॉडल का एक प्रमुख आकलन यह भविष्यवाणी करता है कि 2047 तक भारत की जनसंख्या लगभग 1.65 अरब पर ठहर जाएगी।
उद्योग, इस्पात और एल्युमीनियम सहित विभिन्न क्षेत्रों की बिजली, गैस और तरलीकृत पेट्रोलियम गैस जैसे संसाधनों की अलग-अलग मांगें हैं। इन मांगों की गणना मॉडल का उपयोग करके की जाती है और जरूरतों को समझने के लिए इन्हें एक साथ रखा जाता है। अधिकारी के अनुसार इन जरूरतों को पूरा करने के लिए, ताप और परमाणु ऊर्जा सहित विभिन्न ऊर्जा स्रोतों का पता लगाया जा रहा है और परिवहन के लिए ईंधन की आवश्यकताओं, विशेष रूप से पेट्रोलियम उत्पादों का आकलन किया जा रहा है।
अन्य अधिकारी ने कहा, ‘हरेक क्षेत्र में नई प्रौद्योगिकियां और उभरती राष्ट्रीय प्राथमिकताएं हैं जो आगामी राह में बदलाव के लिए जिम्मेदार हैं। साथ ही हरेक क्षेत्र में निरंतरता के लिए निवेश जरूरी है। जहां कई विचार प्रभावी साबित हुए हैं, वहीं सड़कों के बजाय रेल से माल ढुलाई में उतनी तेजी से प्रगति नहीं हुई है, जितनी उम्मीद थी।’