सरकार नई थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) शृंखला को अंतिम रूप देने के करीब पहुंच चुकी है। इस नई शृंखला को लाने का मकसद काफी समय से अर्थव्यवस्था में हो रहे ढांचागत बदलावों को शामिल करना है। इस मामले से अवगत सरकारी अधिकारियों ने कहा कि इसका आधार वर्ष 2017-18 रहेगा।
डब्ल्यूपीआई द्वारा मापी जाने वाली थोक मुद्रास्फीति दर व्यापारियों के लिए थोक खरीद के लिए जिंसों में गतिशील कीमत में होने वाले उतार-चढ़ाव को शामिल करने का एक अहम मापदंड है। 2011-12 के आधार वर्ष के साथ डब्ल्यूपीआई की मौजूदा शृंखला डब्ल्यूपीआई का सातवां संशोधन है जिसे 2017 से लागू किया गया था।
उक्त अधिकारियों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘फिलहाल विभिन्न समितियों की मंजूरी ली जा रही है। मंजूरी प्रक्रिया पूरी होने के बाद नई शृंखला जारी कर दी जाएगी। नई शृंखला को तीव्र गति से लागू किया जाएगा।’
सभी जिंसों को पहले की तरह ही तीन प्रमुख समूहों- प्राथमिक वस्तुएं, ईंधन और विद्युत तथा विनिर्मित उत्पाद में बांटा जाएगा। इसमें मौजूदा शृंखला की तरह ही विनिर्मिंत उत्पादों की हिस्सेदारी 64.9 फीसदी है।
फिलहाल, प्राथमिक वस्तुओं की हिस्सेदारी समूचे थोक मूल्य सूचकांक के पांचवें हिस्से से अधिक है। ईंधन और विद्युत खंड का हिस्सा 14.9 फीसदी है जबकि विनिर्मित उत्पादों की हिस्सेदारी सूचकांक के करीब 65 फीसदी के बराबर है।
अधिकारी ने कहा, ‘नई शृंखला में कई सुधारों को शामिल किया गया है। जिंस बास्केट और भारिता चित्र के अद्यतन के अलावा जिंसों की कवरेज में 50 फीसदी से अधिक का इजाफा हुआ है। विनिर्मित उत्पाद समूह में भी पहले से अधिक विस्तार हुआ है।’ उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिंस के लिए रिपोर्ट करने वाले प्रतिष्ठानों की संख्या 8,000 से बढ़कर करीब 13,000 होने की उम्मीद है। मौजूदा 2011-12 वाली शृंखला में 697 वस्तुएं हैं। नई शृंखला में उद्योग संघों और हितधारकोंं के साथ परामर्श कर जिंसों की गुणवत्ता निर्देशें को बेहतर किया जा रहा है।
एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘नई शृंखला या डब्ल्यूपीआई में नियोजित बदलावों से सूचकांक को काफी मजबूत बनाए जाने की उम्मीद है। एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से अप्रैल 2017 के बाद से जरूरी मासिक कीमत डेटा को संग्रहित किया जा रहा है और इसे नियिमित तौर पर जारी रखा जाएगा और यह एक निरंतर प्रक्रिया होगी। नए आधार वर्ष के साथ शृंखलाओं को जारी किए जाने से समग्र कीमत संदर्भ का बेहतर विश्लेषण हो पाएगा।’
डब्ल्यूपीआई को उच्च बारंबारता वाले संकेतक के तौर पर समझे जाने के अलावा इसका इस्तेमाल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) जैसे नॉमिनल वृहद आर्थिक परिवर्ती कारकों के अपस्फीतिकारक के तौर पर भी किया जाता है। यह सरकार को विभिन्न आर्थिक नीतियों को तैयार करने में भी मददगार साबित होता है।
