रेल मंत्रालय अपने उपक्रम डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (डीएफसीसी) के लिए नया आय मॉडल बनाने का विचार कर रहा है। मौजूदा मॉडल के तहत रेलवे को इसके लिए 18 फीसदी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) देना पड़ता है। मामले की जानकारी रखने वाले कई सूत्रों ने यह जानकारी दी।
मंत्रालय और डीएफसीसी के बीच मौजूदा आय मॉडल के तहत रेलवे ट्रैक एक्सेस चार्ज (टीएसी) के माध्यम से फ्रेट कॉरिडोर के रखरखाव के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी को भुगतान करता है। इस आमदनी के माध्यम से सरकार से अन्य आवंटन के अलावा निगम परियोजनाएं शुरू करता है और अपना विदेशी कर्ज चुकाता है।
टीएसी में डीएफसीसी की निश्चित लागत, वैरिएबल्स (ईंधन शुल्क, कर्मचारी लागत) और वित्त (मूल्यह्रास, पूंजी और ब्याज की लागत) लागत का हिस्सा शामिल है। टीएसी पर 18 फीसदी का जीएसटी लगता है। इसने मुख्य तौर पर डीएफसीसी के लिए रेल मंत्रालय से भुगतान बढ़ा दिया है।
मामले से परिचित सूत्रों के अनुसार, हालांकि ऐसे लेनदेन पर कर शुरू से लगते रहे हैं मगर मौजूदा मॉडल पीएसयू के लिए सबसे अधिक कर कुशल नहीं है। यह मामला इसलिए भी महत्त्वपूर्ण हो गया है क्योंकि टीएसी का उपयोग डीएफसीसी विश्व बैंक और जापान इंटरनैशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) जैसी बहुपक्षीय एजेंसियों को अपनी ऋण देनदारियों को पूरा करने के लिए करेगा। इन्होंने पूर्वी और पश्चिमी माल ढुलाई गलियारों के लिए लगभग 52,000 करोड़ रुपये का कर्ज दिया है।
डीएफसीसी के प्रबंध निदेशक आरके जैन ने कहा, ‘इस मुद्दे पर रेल मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के साथ चर्चा चल रही है और अंतिम फैसले का इंतजार है। हम कर जटिलता पर स्पष्टता की प्रतीक्षा कर रहे हैं। अब तक हम जो जानते हैं वह यह है कि यदि किसी वस्तु को पहले से ही जीएसटी के दायरे में शामिल नहीं किया गया है तो उस पर 18 फीसदी कर लगता है।’
कॉरपोरेशन के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘डीएफसीसी पर फिलहाल 5000 करोड़ रुपये की सीमा में टीएसी बकाया है।’ इस परिदृश्य में जीएसटी के रूप में लगभग 900 करोड़ रुपये बकाया होंगे। टीएसी के मौजूदा मॉडल ने निगम के लिए भुगतान किए गए जीएसटी पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने में भी समस्याएं पैदा की हैं, जिसे निगम के लिए घाटे के रूप में देखा जा रहा है।
निगम के सलाहकारों ने रिपोर्ट तैयार कर रेलवे बोर्ड को सौंप दिया है। मंत्रालय अब प्रस्ताव पर विचार कर रहा है और कर कुशल समाधान तक पहुंचने के लिए आगे का रास्ता तलाश रहा है।