चालू वित्त वर्ष के पिछले दो महीनों में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों(एनबीएफसी)के ऋण वितरण के स्तर में करीब 50 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
रेटिंग एजेंसी क्रि सिल के द्वारा जारी किए गए आंकडों के अनुसार एनबीएफसी के ऋण वितरण के स्तर में गिरावट का मुख्य कारण इन कंपनियों द्वारा मियाद पूरी होनेवाले लघु अवधि के शर्तों को म्युचुअल फंडों को पुनर्भुगतान पर अपना ध्यान केन्द्रित करना रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ऋा वितरण में गिरावट जहां 70 प्रतिशत तक के स्तर पर रही वहीं क्रिसिल द्वारा रेटिंग प्रदान दिए गए एनबीएफसी के लिए यह औसतन 50 प्रतिशत केआसपास रही। इससे कारोबारी माहौल की जटिलता का साफ पता चलता है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि खासकर परिसंपत्ति वित्तीय कंपनियों ने फंड के अभाव केकारण अपने डिस्बर्समेंट को धीमा कर दिया और सितंबर और अक्टूबर में औसतन ऋण वितरण इस साल केअगस्त महीने की तुलना में करीब आधा रहा। हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कठिन कारोबारी माहौल केबावजूद एनबीएफसी का कारोबार और वित्तीय स्थिति 90 केदशक के वित्तीय संकट की तुलना में कहीं बेहतर है।
क्रिसिल के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी रुपा कुदवा के अनुसार एनबीएफसी के पोर्टफोलियो में डेलीक्वेंसी में इजाफा होने केवाबजूद मौजूदा परिसंपत्ति से कैश के उपलब्ध होने से अपनी मियाद पूरी करने वाले कर्जों की शर्तों को पूरा किया जिा सकेगा। हालांकि कारोबार की मात्रा में लगातार गिरावट होने के कारण इस क्षेत्र के लिए आने वाले दिनों में मुसीबतों का अंबार लगने के पूरे आसार नजर आ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ वर्षों में बैंकों द्वारा एनबीएफसी के परंपरागत खुदरा ऋणों के अधिग्रहण किए जाने के कारण पिछले कुछ वर्षों से तेजी से आगे बढ़ने वाले सिलसिले को झटका लगा है। रिपोर्ट में इस बात को दर्शाया गया है कि एनबीएफसी के परिसंपत्ति आधार परिसंपत्ति बोझ में असमानता को दर्शाया गया है क्योंकि इनके आधे से ज्यादा के ऋण की मियाद पूरी होने की अवधि एक साल से भी कम की थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि क्रिसिल द्वारा रेटिंग हासिल करने वाली एनबीएफसी के म्युचुअल फंड के 30 सितंबर 2008 तक के अनुमानित ऋणों में 31 मार्च 2006 के30 प्रतिशत की तुलना में बढाेतरी हुई है और पिछले कुछ समय में यह बढ़कर 45 प्रतिशत तक के स्तर तक पहुंच गया है।
इसका एक और पहलू है।?दरअसल भुनाने यानी रिडेम्पशन का दबाव लगातार बढ़ने के कारण एनबीएफसी अब म्युचुअल फं ड को पहले से ज्यादा कर्ज देने की हालत में नहीं रह गए हैं।?फिलहाल वे मियाद पूरी होने के साथ ही मौजूदा कर्ज पाटने में लगे हुए हैं और नए कर्ज नहीं लिए जा रहे हैं।
हाल में ही भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा एनबीएफसी की फंडों तक पहुंच को बढाने केलिए घोषित उपायों से वास्तव में एनबीएफसी के कर्ज के दवाबों में कमी आएगी। लेकिन यह भी सच हैकि दीर्घ कालिक कारोबार के विकास में इन उपायों से एनबीएफसी को खास मदद नहीं मिल पाएगी।
एनबीएफसी से कर्ज कम
गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के ऋण वितरण में आई 50 फीसद कमी
म्युचुअल फंडों को पुनर्भुगतान इसकी वजह
सितंबर-अक्टूबर में ऋण वितरण की दर अगस्त के मुकाबले आधी
रिजर्व बैंक के उपाय कम करेंगे ऋण का दबाव, लेकिन विकास नहीं होगा