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सात वर्ष में करीब 18.60 लाख करोड़ रुपये के मुद्रा ऋण बांटे गए

Last Updated- December 11, 2022 | 8:03 PM IST

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) के तहत कार्यक्रम के आरंभ के बाद से सात वर्षों में 34.4 करोड़ उधारकर्ताओं को करीब 18.60 लाख करोड़ रुपये के ऋण मंजूर किए गए।   
हालांकि, योजना के तहत ऋण की मंजूरी वित्त वर्ष 2021-22 में घटकर 4.86 करोड़ उधारकर्ताओं को 3.10 लाख करोड़ रुपये के साथ चार वर्ष के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया। इसमें से पूरे वर्ष 3.02 लाख करोड़ रुपये के ऋण बांटे गए।
वित्त वर्ष में 4.89 करोड़ उधारकर्ताओं को 3.22 लाख करोड़ रुपये के ऋण मंजूर किए गए जिसमें से 3.12 लाख करोड़ रुपये के ऋण बांटे गए। आपातकालीन ऋण गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के तहत ऋण लेने की ऐसे उधारकर्ताओं की योग्यता भी ऋण की मंजूरियों में कमी आने की एक वजह हो सकती है। सरकार ने भी चालू वित्त वर्ष के लिए योजना के तहत ऋण वितरण लक्ष्य को 3 लाख करोड़ रुपये निश्चित किया था जबकि वित्त वर्ष 2021 में 3.12 लाख करोड़ रुपये के ऋण बांटे गए थे।         
मुद्रा योजना की सातवीं वषगांठ को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विट किया कि इस योजना ने अनगिनत भारतीयों को अपनी उद्यमशीलता दिखाने और नौकरी सृजक बनने का अवसर प्रदान किया।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक वक्तव्य में कहा कि मुद्रा योजना ने विशेष तौर पर छोटे कारोबारियों के लिए सक्षम माहौल तैयार करने में मदद की है और जमीनी स्तर पर बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर सृजित करने में सहायता की है।
सीतारमण ने कहा, ’68 फीसदी से अधिक ऋण खाते महिलाओं के मंजूर किए गए हैं और 22 फीसदी ऋण खाते ऐसे नए उद्यमियों को दिए गए हैं जिन्होंने योजना के आरंभ के बाद से कोई ऋण नहीं लिया था।’
पीएमएमवाई के तहत बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों द्वारा छोटी कारोबारी इकाइयों को उद्यम संबंधी गतिविधियों के लिए 10 लाख रुपये तक के ऋण दिए जाते हैं। इसके तहत विनिर्माण, व्यापार, कृषि से संबंधित सेवा और गतिविधि जैसे क्षेत्रों में नए उद्यम भी शामिल हैं। ऋण तीन श्रेणियों शिशु (50,000 रुपये तक के ऋण), किशोर (50,000 रुपये से 5,00,000 रुपये तक के ऋण) और तरुण (5,00,000 रुपये से 10,00,000 रुपये तक) ऋण दिए जाते हैं।    
सरकार की ओर से साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक योजना के तहत ऋण का औसत आकार 54,000 रुपये है और 86 फीसदी ऋण शिशु श्रेणी में दिए गए हैं। करीब 22 फीसदी ऋण नए उद्यमियों को दिए गए और मंजूर किए गए कुल ऋण में से 68 फीसदी महिलाओं के मंजूर किए गए।
भले ही योजना के तहत मंजूरियां प्रभावशाली रहीं हैं लेकिन इन वर्षों में गैर-निष्पादित ऋणों में भी इजाफा हुआ है। वित्त वर्ष 2020-21 में कुल एनपीए बढ़कर 34,090 करोड़ रुपये हो गया जो वित्त वर्ष 2020 में 26,078 करोड़ रुपये रहा था। वित्त वर्ष 2021 में वितरण के मुकाबले दबावग्रस्त ऋणों का प्रतिशत बढ़कर 3.61 प्रतिशत हो गया जो वित्त वर्ष 2020 में 2.53 प्रतिशत रहा था।  

First Published - April 9, 2022 | 12:06 AM IST

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