मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन (CEA V Ananth Nageswaran) ने कहा है कि भारत को वर्ष 2030 तक सात प्रतिशत से लेकर 7.5 प्रतिशत तक की सतत वृद्धि हासिल करने के लिए विनिर्माण क्षेत्र पर ध्यान देने की जरूरत है।
नागेश्वरन ने एसएंडपी ग्लोबल (S&P Global) की एक रिपोर्ट में कहा है कि कुशल श्रम, बेहतर बुनियादी ढांचे, सुस्थापित औद्योगिक परिवेश और विशाल घरेलू बाजार के संदर्भ में देश को हासिल तुलनात्मक बढ़त को ध्यान में रखते हुए विनिर्माण क्षेत्र को वृद्धि का अहम क्षेत्र होना चाहिए।
उन्होंने ‘लुक फारवर्ड- इंडियाज मोमेंट’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा है कि सेवा क्षेत्र के संदर्भ में उच्च मूल्य वर्द्धन वाली सेवाओं पर अधिक जोर दिया जाना चाहिए क्योंकि इसमें विदेशी मांग आने से आय में सुधार होगा।
विनिर्माण की हिस्सेदारी को मौजूदा स्तर से बढ़ाने पर फोकस
नागेश्वरन ने कहा, “भारतीय अर्थव्यवस्था को वास्तविक संदर्भों में वर्ष 2030 तक सालाना 7.0 से 7.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने की जरूरत है। कुल सकल मूल्य वर्द्धन में विनिर्माण की हिस्सेदारी को 16 प्रतिशत के मौजूदा स्तर से बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का कम-से-कम 25 प्रतिशत करना है।”
उन्होंने कहा कि इसे कृषि एवं निम्न मूल्य वर्द्धन वाली सेवाओं की कीमत पर हासिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि निवेश दर (जीडीपी अनुपात में सकल स्थिर पूंजी निर्माण) को 29 प्रतिशत से बढ़ाकर कम-से-कम 35 प्रतिशत किए जाने की जरूरत है। इसमें निजी क्षेत्र और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अहम भूमिका होगी क्योंकि सरकार के पास सीमित राजकोषीय गुंजाइश है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने इस दिशा में घरेलू कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार के विकास और निवेश आकर्षित करने के लिए लक्षित राजकोषीय पहल जैसे कदम उठाए जाने के सुझाव भी दिए। सरकारी निवेश के संदर्भ में नागेश्वरन ने कहा कि ढांचागत क्षेत्र और सार्वजनिक बेहतरी पर ध्यान देना चाहिए जिससे आगे चलकर निजी निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा।
मुद्रास्फीति को काबू में रखने की जरूरत
उन्होंने कहा कि शुद्ध निर्यात को अधिक संतुलित स्तर पर ले जाने के लिए महंगे विनिर्माण और उच्च मूल्य-वर्द्धित सेवाओं के लिए एक बाजार बनाया जा सकता है। इसके अलावा उन्होंने मुद्रास्फीति को काबू में रखने की जरूरत पर भी बल दिया। उन्होंने कहा, “सरकार को खर्च घटाने वाले कदमों के साथ राजकोषीय विवेक का भी प्रदर्शन करने की जरूरत है।”