उत्पादन, नए ऑर्डर और खरीद के स्टॉक में धीमी वृद्धि के बीच दिसंबर महीने में देश के मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में वृद्धि 12 महीने के निचले स्तर पर आ गई। गुरुवार को जारी एक निजी बिजनेस सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है। एसऐंडपी ग्लोबल द्वारा संकलित एचएसबीसी का इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स सूचकांक (पीएमआई) नवंबर के 56.5 के स्तर से खिसक कर दिसंबर में 56.4 के स्तर पर आ गया। पिछले वर्ष जनवरी में यह आंकड़ा 56.5 था।
सूचकांक में 50 से ऊपर का आंकड़ा गतिविधि में विस्तार और इसके नीचे का आंकड़ा इसमें कमी के संकेत देता है। सर्वेक्षण में कहा गया है, ‘तैयार माल के स्टॉक के अपवाद के साथ एचएसबीसी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई सर्वे के सूचकांक के आंकड़े उनके शुरुआती अनुमान से कम है। दिसंबर के आंकड़े दर्शाते हैं कि उत्पादन, नए ऑर्डर और खरीद के स्टॉक में कम वृद्धि के बीच क्षेत्र में 2024 में सीमित सुधार हुआ है।’
वृद्धि की दरें पर्याप्त बनी रहीं जिससे खरीद के स्तर और रोजगार में और विस्तार हुआ हालांकि लागत दबाव कम हुआ लेकिन महंगाई ऐतिहासिक रूप से उच्च स्तर पर बनी रही। एचएसबीसी की मुख्य भारतीय अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी का कहना है कि औद्योगिक क्षेत्र में मंदी के संकेतों के बीच देश की मैन्युफैक्चरिंग गतिविधि 2024 में अच्छी रही।
वह कहती हैं, ‘नए ऑर्डर में विस्तार की दर इस वर्ष सबसे धीमी थी जिससे भविष्य के उत्पादन में कम वृद्धि के संकेत मिले। यह कहा जा सकता है कि नए निर्यात ऑर्डर में बढ़त देखी गई जो जुलाई के बाद से सबसे तेज रफ्तार से बढ़ा। इनपुट कीमतों में बढ़त थोड़ी कम हुई और साल के आखिर में भारतीय मैन्युफैक्चरिंगकर्ताओं को लागत पर दबाव महसूस हुआ।’