भारत के सबसे पुराने इंजीनियरिंग समूहों में से एक- 137 साल पुराना किर्लोस्कर समूह अपने चार सूचीबद्ध व्यवसायों (इंजन और पिग आयरन से लेकर कंप्रेसर, रियल एस्टेट और वित्त तक) में बड़े पैमाने पर विस्तार की योजना बना रहा है। उसका लक्ष्य अगले पांच वर्षों में अरबों डॉलर की राजस्व वृद्धि हासिल करना है।
प्रबंध निदेशक गौरी किर्लोस्कर के नेतृत्त्व में किर्लोस्कर ऑयल इंजन्स लिमिटेड (केओईएल) ने वित्त वर्ष 2030 तक अपने राजस्व को तिगुना करके 2 अरब डॉलर तक पहुंचाने की योजना की घोषणा की है। यह योजना एक ऐसी रणनीति पर आधारित है जिसने पिछले तीन वर्षों में ही वृद्धि को दोगुना कर दिया है।
गौरी किर्लोस्कर ने कहा, ‘तीन साल पहले हमने तीन वर्षों में राजस्व दोगुना करने के लिए अपनी 2एक्स3वाई स्ट्रैटजी शुरू की थी। तब से अब तक हमने 15-18 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि हासिल की है, जो 2022 से पहले महज 3 फीसदी थी। अगला चरण पांच वर्षों में 2 अरब डॉलर तक पहुंचना है, जिसे बिजली उत्पादन और औद्योगिक इंजन दोनों से मदद मिलेगी।’
अपनी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी, एआरकेए का संचालन करने वाली केओईएल पूंजी जुटाने और फिर सहायक कंपनी को सूचीबद्ध कराने की तैयारी कर रही है। गौरी ने कहा, ‘हम अगले छह महीनों में धन जुटाने की योजना बना रहे हैं और वित्त वर्ष 29-30 के आसपास एनबीएफसी को सूचीबद्ध करा सकते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘इस व्यवसाय के प्रबंधन में बदलाव किया गया है। यह मध्यावधि का कदम है।’
यह विस्तार ऐसे समय हो रहा है जब कंपनी डेटा सेंटर, निर्माण और इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों की मांग में बढ़ोतरी का लाभ उठा रही है, जिन्हें विश्वसनीय बिजली की जरूरत है। किर्लोस्कर नेमैटिक के चेयरमैन राहुल किर्लोस्कर ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘आज बिजली उत्पादन बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। मांग मजबूत है और हमें लगता है कि अगले 5-10 साल में यह इसी तरह बनी रहेगी।’
परिवार के बीच चल रहे कानूनी विवाद के बावजूद, राहुल ने जोर देकर कहा कि शेयरधारक विवाद से कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा, ‘यह विवाद सिर्फ होल्डिंग स्तर पर है। इसका कारोबार पर कोई असर नहीं पड़ेगा।’ अतुल और राहुल के नेतृत्व वाले किर्लोस्कर भाई एक तरफ हैं जिनका अपने भाई संजय के साथ गैर-प्रतिस्पर्धा प्रावधानों और एक-दूसरे की कंपनियों में शेयर बाईबैक को लेकर झगड़ा चल रहा है। संजय किर्लोस्कर के हाथ में इस समय सूचीबद्ध कंपनी किर्लोस्कर ब्रदर्स को नियंत्रण है। भाइयों के बीच 40 कानूनी विवाद चल रहे हैं और पिछली मध्यस्थता का कोई नतीजा नहीं निकला है।
इस बीच पिग आयरन, कास्टिंग और स्टील ट्यूब्स का कारोबार करने वाली किर्लोस्कर फेरस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (केएफआईएल) क्षमता विस्तार और दक्षता में सुधार के लिए अगले तीन से चार वर्षों में 3,500 करोड़ रुपये का निवेश कर रही है।