अक्टूबर में विनिर्माण गतिविधियां 8 माह के उच्च स्तर पर पहुंच गईं, लेकिन इससे नौकरियों में छटनी पर लगाम नहीं लग पाई है। आईएचएस मार्किट के पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) सर्वे से यह सामने आया है कि कंपनियों की मौजूदा क्षमता बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। साथ ही फर्मों ने बताया है कि कच्चे माल की कीमत 92 महीने के उच्च स्तर पर है, जिसकी वजह से कुछ फर्मों को विक्रय मूल्य बढ़ाना पड़ा है।
अक्टूबर में पीएमआई 55.9 अंक पर रहा, जो इसके पहले महीने में 53.7 था। अक्टूबर में रीडिंग फरवरी के बाद सबसे ज्यादा है।
सर्वे से जुड़ी एक प्रतिक्रिया में आईएचएस मार्किट ने कहा कि फर्मों ने आगे मांग में और सुधार की उम्मीद से स्टॉक बनाने की कवायद में कच्चे माल की खरीद के लिए कदम बढ़ाया है जबकि कारोबारी आशा 6 महीने के उच्च स्तर पर है।
आईएचएस मार्किट में इकोनॉमिक एसोसिएट डायरेक्टर पॉलियाना डी लीमा ने कहा, ‘कंपनियां अपने स्टॉक बढ़ाकर आगे मांग में और सुधार की ओर बढ़ रही हैं, वहीं ऐसा लगता है कि महामारी नियंत्रण में बनी रहने के कारण विनिर्माण गतिविधियों में वित्त वर्ष 2021-22 की तीसरी तिमाही में भी तेजी जारी रहेगी।’
उन्होंने साफ किया कि पीएमआई मौसमी कारकों को समायोजित किए हुए है और इसलिए इसमें त्योहारी सीजन को योगदान नहीं दिया जा सकता है।
उन्होंने बिजनेस स्टैंडर्ड को ई-मेल से भेजे जवाब में कहा, ‘उदाहरण के लिए मौसमी रूप से समायोजित आउटपुट इंडेक्स 59.1 था, जबकि बगैर समायोजित आंकड़ा 61.5 था।’
एमके ग्लोबल फाइनैंशियल सर्विसेज में मुख्य अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा कि भारत अक्टूबर में पीएमआई में सुधार करने के हिसाब से अलग नहीं है। कुल मिलाकर एशिया के उभरते बाजारों की पीएमआई सुधरी नजर आ रही है, यहां तक कि चीन में भी 0.6 अंक की बढ़ोतरी हुई है और उसकी रीडिंग 50.6 है और यह 4 महीने की सबसे ज्यादा रीडिंग है।
आईएचएस मार्किट ने कहा है कि अनुमान के मुताबिक आगे कारोबार की स्थिति में और सुधार आएगा क्योंकि महामारी का असर कम होने की वजह से आत्मविश्वास बढ़ा है।
बार्कलेज में भारत के मुख्य अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया ने कहा कि टीकाकरण में सुधार और नए संक्रमण पर तुलनात्मक रूप से नियंत्रण की वजह से कारोबारी आशाओं में बढ़ोतरी में मदद मिल सकती है।
सर्वे में शामिल उद्योगों ने कच्चे माल व ढुलाई की लागत में बढ़ोतरी जारी रहने की बात कही है। उनका कहना है कि फरवरी, 2014 के बाद से कुल मिलाकर इनपुट लागत सबसे तेज बढ़ी है। केमिकल्स, फैब्रिक, मेटल, इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट, ऑयल, प्लास्टिक और परिवहन लागत में बढ़ोतरी हुई है। इसी के मुताबिक कुछ कंपनियों ने बिक्री मूल्य फिर से बढ़ाया है।
लीमा ने कहा, ‘इस बात को लेकर चिंता है कि अक्टूबर में इनपुट लागत फिर बढ़ी है और यह करीब 8 साल के शीर्ष स्तर पर है। कच्चे माल की वैश्विक मांग तेज रहने से कीमतें बढ़ी हैं।’
पारी में काम कराने के सरकार के दिशानिर्देशों के बावजूद क्षमता पर दबाव कम होने की वजह से रोजगार में गिरावट जारी है। हालांकि यह कहा गया है कि नौकरियों से छटनी मामूली रही है।
विनिर्माण के 3 व्यापक क्षेत्रों में बिक्री और उत्पादन दोनों में मजबूत वृद्धि हुई है, वहीं इंटरमीडिएट गुड्स का विस्तार सबसे तेज हुआ है।
