भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने सोमवार को कहा कि भारत ने भूमि के उपयोग से संबंधित नियम जैसे कई कठोर नियम बनाकर लघु और मझोले उद्यमों के लिए विनिर्माण क्षेत्र को और जटिल बना दिया है। इंडिया एग्जिम बैंक के एक कार्यक्रम में नागेश्वरन ने कहा कि यह मसला 31 जनवरी को जारी की जाने वाली आर्थिक समीक्षा में शामिल होगा।
उन्होंने कहा, ‘भूमि कई तरह के नियमों के दायरे में है और उद्यम इसका पूरा इस्तेमाल करने में सक्षम नहीं है। कानून का पालन करने वाली कोई भी एमएसएमई फर्म ग्राउंड फ्लोर पर जमीन का 20 से 30 प्रतिशत इस्तेमाल करने में भी सक्षम नहीं होती है। हमने विनिर्माण को और जटिल बना दिया है।’
उन्होंने कहा कि विनिर्माण इकाइयां स्टिल्ट पर बनाई जाती हैं क्योंकि पार्किंग मानकों आदि के कारण ग्राउंड प्लोर का उपयोग प्रतिबंधित रहता है, जिसका मतलब यह हुआ कि जमीन का पूरा इस्तेमाल नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘जी-20 देशों में भारत में प्रति व्यक्ति भूमि उपलब्धता सबसे कम है और यहां इस संसाधन की कमी है।’
वित्त अधिनियम की 43 (बी) के माध्यम से किए गए बदलाव के कारण एमएसएमई के सामने आ रही चुनौतियों का उल्लेख करते हुए सीईए ने कहा कि राजनीतिक अर्थव्यवस्था और व्यवहार संबंधी स्थिरता पर विचार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार ने एमएसएमई को समय पर भुगतान करने के लिए कहा है, क्योंकि उनके लिए कार्यशील पूंजी महत्त्वपूर्ण है, लेकिन बड़ी कंपनियां यह नियम वापस लेने की मांग कर रही हैं।
43(बी) प्रावधान के अनुसार एमएसएमई को किए जाने वाले भुगतान में तभी कटौती की जा सकती है, जब फर्म को भुगतान कर दिया जाएगा तथा यदि एमएसएमई के साथ कोई अनुबंध नहीं है तो भुगतान 15 दिनों के भीतर किया जाएगा।
एमएसएमई को ऋण की पहुंच में सुधार के बारे में नागेश्वरन ने कहा कि अगर बैंक गिरवीं रखकर कर्ज देने के बजाय कमाई के आधार पर फैसले करते हैं तो एमएसएमई तक ऋण की पहुंच की व्यापक संभावना है।