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भारत पर शुल्कों का असर कम होगा: मल्होत्रा

चीन का निर्यात उसके जीडीपी का करीब 19 फीसदी, जर्मनी का 37 फीसदी और यूरोपीय संघ का 30 फीसदी से अधिक है।

Last Updated- April 09, 2025 | 11:51 PM IST
RBI Monetary Policy: Malhotra announces policy rates

अमेरिका के जवाबी शुल्क का घरेलू वृद्धि पर नकारात्मक असर पड़ेगा। लेकिन उसकी गंभीरता कई अन्य देशों के मुकाबले काफी कम रहेगी। यह बात भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को कही।

घरेलू वृद्धि संबंधी कारणों ने मौद्रिक नीति समिति को लगातार दूसरी समीक्षा बैठक में रीपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती के लिए प्रेरित किया। रीपो दर अब घटकर 6 फीसदी रह गई है। आरबीआई ने नीतिगत रुख को भी तटस्थ से बदलकर उदार कर दिया है।

मल्होत्रा ने व्यापार संबंधी शुल्क के असर के बारे में कहा, ‘सबसे पहले और सबसे अहम बात यह कि अनिश्चितता कारोबारियों और परिवारों के निवेश एवं खर्च संबंधी फैसलों को प्रभावित करती है जिससे वृद्धि धीमी हो जाती है। दूसरा, व्यापार जंग के कारण वैश्विक वृद्धि को प्रभावित करने वाले कारक घरेलू वृद्धि को भी बाधित करेंगे।’

हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि ट्रंप शुल्क के प्रभाव का आकलन करना अभी मुश्किल है क्योंकि शुल्क के सापेक्ष असर, भारतीय निर्यात एवं आयात मांग में लचीलापन और अमेरिका के साथ प्रस्तावित विदेशी व्यापार समझौते सहित सरकार के नीतिगत उपाय जैसे मुद्दों का स्पष्ट होना अभी बाकी है। उन्होंने कहा, ‘इन सब कारणों से शुल्कों के प्रतिकूल प्रभाव का आकलन करना मुश्किल हो जाता है।’

मल्होत्रा ने यह भी कहा कि भारत के लिहाज से शुल्कों का प्रभाव दूसरे देशों के मुकाबले सीमित है। उन्होंने कहा कि भारत का निर्यात सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब 12 फीसदी है जबकि अमेरिकी बाजार में भारत का निर्यात 2 फीसदी से भी कम है। उन्होंने चीन, जर्मनी, यूरोपीय संघ, ताइवान के निर्यात बनाम जीडीपी अनुपात का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत अन्य अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले बेहतर स्थिति में है।

मल्होत्रा ने कहा, ‘इसके विपरीत चीन का निर्यात उसके जीडीपी का करीब 19 फीसदी, जर्मनी का 37 फीसदी और यूरोपीय संघ का 30 फीसदी से अधिक है। ईरान अथवा ताइवान जैसे छोटे देशों का निर्यात बनाम जीडीपी अनुपात और भी अधिक है। इस लिहाज से भारत अन्य अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले बेहतर स्थिति में है।’

उन्होंने कहा, ‘जहां तक शुल्कों की बात है तो वह भारत के लिए अधिक मायने नहीं रखते क्योंकि अमेरिका के साथ हमारा व्यापार अधिशेष अन्य देशों के मुकाबले काफी कम है। इससे हमें तुलनात्मक फायदा मिलता है। मगर यह भी सच है कि ऐसे शुल्क आखिरकार वृद्धि की रफ्तार को सुस्त कर सकते हैं।’

शुल्क को लेकर छिड़ी जंग के बीच मुद्रा अवमूल्यन के बारे में पूछने पर मल्होत्रा ने कहा कि अगर वैश्विक कारकों से रुपये पर दबाव बढ़ेगा तो उसे उसी हिसाब से समायोजित होने दिया जाएगा। उन्होंने दोहराया कि मुद्रा बाजार में अत्यधिक उतार-चढ़ाव रोकने के लिए आरबीआई हस्तक्षेप करता है। उन्होंने कहा, ‘भारत का बाजार काफी गहरा और तरलता से भरपूर है। बाजार की ताकतें रुपये के मूल्य को निर्धारित करने के लिए सबसे उपयुक्त हैं। अगर मुद्रा बाजार में अत्यधिक उतार-चढ़ाव दिखेगा तो हम रुपये को सहारा देने के लिए तैयार हैं, लेकिन हम किसी खास स्तर का लक्ष्य करने के बजाय स्थिरता सुनिश्चित करने पर ध्यान देते हैं।’

First Published - April 9, 2025 | 11:51 PM IST

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