वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि केंद्र सरकार ने लोक कल्याणकारी गतिविधियों पर व्यय से समझौता किए बगैर राजकोषीय सुदृढ़ता को अपनी शीर्ष प्राथमिकता पर रखा है।
लोकसभा में वित्त वर्ष 24 की पहली पूरक अनुदान मांग पर जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा, ‘अगर वृहद आर्थिक अवधारणा की बात करें तो हम सही राह पर हैं। यही वजह है कि हम विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था हैं। दूसरी तिमाही में हमारी जीडीपी वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रही है, जो विश्व में सर्वाधिक है।’
लोकसभा ने 1.29 लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त सकल व्यय को मंजूरी दे दी, जिसे सीतारमण ने पहली पूरक अनुदान मांग के रूप में प्रस्तुत किया था। इसमें 58,378 करोड़ रुपये शुद्ध अतिरिक्त व्यय शामिल है।
अतिरिक्त व्यय की मांग उर्वरक (13,351 करोड़ रुपये) और खाद्य सब्सिडी (10,396 करोड़ रुपये), गारंटी रिडंप्शन फंड (9,014 करोड़ रुपये) और रक्षा व्यय (5,626 करोड़ रुपये) के लिए है।
वित्त मंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना को 20,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त दिए जाने के बाद मनरेगा का कुल बजट समर्थन दिसंबर 2023 तक बढ़कर 80,000 करोड़ रुपये हो गया है।
सीतारमण ने कहा कि जरूरत पड़ने पर सरकार एक बार फिर दूसरी पूरक मांग पेश करेगी। वित्त मंत्री ने कहा, ‘पिछले 2-3 साल में हमने सिर्फ 2 पूरक बजट पेश किया है। इससे पता चलता है कि हमने बजट बनाने में कितनी कवायद की है।’
अपने जवाब में वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार किसानों और ग्राहकों के हितों के बीच संतुलन बनाने में लगी है। साथ ही किसानों को उनकी जरूरतों के मुताबिक पर्याप्त मूल्य मिलने को लेकर भी सचेत है।
उन्होंने कहा, ‘अक्सर जब हम ऐसा करते हैं तब ऐसी स्थिति होती है कि कीमत बढ़ती है। हमें आपूर्ति संबंधी व्यवधान दूर करने और सभी माल बाजार तक लाने की जरूरत है।’
केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाओं के लिए धन जारी किए जाने को लेकर राज्यों की शिकायत पर सीतारमण ने कहा कि कुछ राज्यों ने एकल नोडल एजेंसी खाते का धन खर्च नहीं किया है। सीतारमण ने कहा कि कुछ राज्यों ने ब्रांडिंग और नाम को लेकर दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया है।
सीतारमण ने कहा, ‘अगर राषि बची हुई रहेगी तो स्वाभाविक रूप से उसे खर्च किए बिना अगली किस्त नहीं मिलेगी। सालाना कार्ययोजना दाखिल न किए जाने से भी केंद्रीय योजनाएं लागू नहीं हो पाएंगी।’
पूरक मांग का तकनीकी ब्योरा पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि इसमें 79 मांग और 4 विनियोजन है, जिसमें उच्चतम न्यायालय, केंद्रीय सतर्कता आयोग के कर्मचारियों और राष्ट्रपति के भत्ते और संघ लोकसेवा आयोग से जुड़ी मांग शामिल है। 58,378 करोड़ रुपये नकदी प्रवाह में से 53,858 करोड़ रुपये राजस्व व्यय हेतु है।