भारत सरकार रियल एस्टेट उद्योग को नियंत्रित करने के लिए कानून का प्रारुप तैयार कर रही है।
तेज आर्थिक वृद्धि के कारण आवासीय और व्यावसायिक संपत्ति की कीमतों में उछाल को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया जा रहा है।
संसद में एक लिखित प्रश्न के जवाब में शहरी विकास मंत्री एस जयपाल रेड्डी ने कहा कि सरकार रियल एस्टेट प्रबंधन(नियमन एवं नियंत्रण)विधेयक लाने पर विचार कर रही है, जो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए लागू होगी।
कुशमैन ऐंड वेकफील्ड इनकार्पोरेशन के मुताबिक गोल्फ लिंक्स और फै्रंड्स कॉलोनी जैसे दिल्ली के इलाकों में पिछले 2 सालों में व्यावसायिक और आवासीय संपत्तियों की कीमत दोगुनी से अधिक हो गई है।
इस सवाल कि सरकार रियल एस्टेट नियामक के लिए क्या कर रही है, के जवाब में रेड्डी ने कहा कि यह विधेयक अन्य राज्यों के लिए एक आदर्श विधान होगा।
रेड्डी ने बताया कि रियल एस्टेट नियामक के मुद्दे पर सरकार पिछले साल के सितंबर से सोच रही है।
रेड्डी ने बताया कि तेजी से बढ़ रही विकास दर और बाजार कारकों के कारण इस क्षेत्र में दामों में वृद्धि हो रही है।
नई दिल्ली के पास एक भूखंड की जब बोली लगी तो, दिल्ली की एक डेवलपिंग कंपनी, बीपीटीपी लिमिटेड ने 1 अरब डॉलर से अधिक की बोली लगाई।
यह बोली रिजर्व कीमत की दोगुनी थी। डीएलएफ, ओमेक्स लिमिटेड और अंसल प्रॉपर्टीज एड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को इस बोली से हटाने के लिए बीपीटीपी ने 1.24 अरब डॉलर की बोली लगा डाली।
कंपनी ने बताया कि नोएडा में दुकानों और ऑफिसों के लिए उसने 95 एकड़ भूखंड के लिए बोली लगाकर उसे हासिल किया ।
इस भूखंड के लिए रिजर्व कीमत 77,000 रुपये प्रतिवर्ग मीटर रखी गई है,जबकि कंपनी ने 1,30,207 रुपये प्रतिवर्ग मीटर की दर से भुगतान किया।