बढ़ती खाद्य कीमतों पर चिंता जताते हुए वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने आज कृषि ऋण माफ करने संबंधी अपने बजट प्रस्ताव का बचाव किया और इन आरोपों को खारिज कर दिया कि बजट में निगमित क्षेत्र को भुला दिया गया। चिदंबरम ने उद्योग संगठनों के साथ बजट बाद समीक्षा में यह बात कही।
उन्होंने कहा कि भारत में खाद्य कीमतें अब भी मुद्रास्फीति की दर को बढ़ाने के मुख्य कारकों में से एक है। उन्होंने कहा कि एक लंबे अंतराल के बाद भारत का अनाज का आंशिक आयातक होना एक खतरनाक संकेत है। उन्होंने उद्योग चैंबरों से बजट के बाद की बातचीत में कहा कि क्योंकि हम आयात पर निर्भर हैं हम अंतरराष्ट्रीय कीमतों से संबध्द हैं। भारत जितनी बड़ी जनसंख्या वाला कोई भी देश आयात (खाद्यान्न के) पर निर्भर नहीं रह सकता है।
