सरकार के लगातार ब्रेक लगाते रहने के बावजूद महंगाई दर की चाल लगातार बढ़ती ही जा रही है।
31 मई को समाप्त सप्ताह के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, यह सात साल के उच्चतम स्तर 8. 75 फीसदी पर पहुंच गई। पिछली बार के मुकाबले इसकी रफ्तार में 0.51 फीसदी की तेजी आई। इस बार इसकी रफ्तार बढ़ाने में खाद्य पदार्थों और सब्जियों ने खासी भूमिका निभाई।
इनके दाम 5 जून को ईंधन मूल्यों में हुई बढ़ोतरी से महंगाई दर के नौ फीसदी के पार जाने की आशंका के कारण बढ़े। इससे पहले साल 2001 में 10 फरवरी को समाप्त सप्ताह के दौरान महंगाई दर 8.77 फीसदी दर्ज की गई थी।
बहरहाल, समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान अंडा, मसाले और उड़द की कीमत में दो-दो प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। फल, सब्जी, मटन, दूध और गेहूं की कीमत में एक-एक प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई हालांकि समुद्री मछली की कीमत दो प्रतिशत गिर गई।
गैर खाद्य उत्पाद खंड में कच्चे रबर की कीमत पांच प्रतिशत, सरसों की कीमत तीन प्रतिशत, मूंगफली दो प्रतिशत और नारियल की कीमत एक प्रतिशत बढ़ गई। कच्चे रेशम की कीमत हालांकि तीन प्रतिशत गिर गई। तैयार उत्पादों में सरसों तेल की कीमत छह प्रतिशत, खली की कीमत तीन प्रतिशत तथा मूंगफली तेल एवं नारियल तेल की कीमत एक-एक प्रतिशत बढ़ गई।
मक्खन की कीमत हालांकि एक प्रतिशत गिर गई। बीयर और अल्कोहल की कीमत दस प्रतिशत बढ़ गई। प्रिंटिंग पेपर (सफेद) की कीमत पांच प्रतिशत बढ़ी। इस दौरान पश्चिमी टाइप के फुटवियर की कीमत एक प्रतिशत चढ़ी। आतिशबाजी की कीमत 12 प्रतिशत और मेथनाल की कीमत चार प्रतिशत बढ़ गई। एडहेसिव की कीमत हालांकि दो प्रतिशत गिर गई। इस अवधि में सीमेंट की कीमत में मामूली बढ़ोतरी दर्ज की गई। समीक्षाधीन सप्ताह में इलेक्ट्रिक मोटर की कीमत में दो प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।