मंदी की आंच से झुलस रही सरकार के लिए महंगाई दर में नरमी किसी मरहम से कम नहीं है। खास बात यह कि महंगाई दर लंबे अरसे बाद इकाई अंक में आई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी वजह से अब रिजर्व बैंक ब्याज दरों में और कटौती कर सकता है, जिससे बाजार में नकदी का प्रवाह बढ़ेगा। ईंधन और धातुओं की कीमतों में गिरावट के मद्देनजर 1 नवंबर को समाप्त सप्ताह में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर गिरकर 8.98 फीसदी रह गई।
पिछले सप्ताह मंहगाई दर 10.72 फीसदी थी, जिसमें करीब 1.74 फीसदी की गिरावट आई है। पिछले वर्ष की समान अवधि में यह दर 3.35 फीसदी थी। महंगाई दर में यह नरमी 24 मई के बाद सबसे कम है।
24 मई को महंगाई दर 8.90 थी, जबकि अगस्त के पहले सप्ताह में महंगाई दर चरम पर, यानी 12.91 फीसदी पर पहुंच गई थी, जिसके बाद रिजर्व बैंक को सीआरआर, रेपो रेट आदि में इजाफा करना पड़ा था।
महंगाई दर में गिरावट को देखते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि मार्च 2009 तक रिजर्व बैंक रिवर्स रेपो रेट में 100 आधार अंकों और रेपो रेट में 150 आधार अंकों की कटौती कर सकता है, जिससे बैंकों के पास नकदी की उपलब्धता बढ़ेगी।
यही नहीं, महंगाई दर में नरमी के बाद बाजार में तरलता बढ़ाने से मंदी की स्थिति से सरकार को निपटने में आसानी होगी। आईसीआईसीआई सिक्यूरिटीज के अर्थशास्त्री ए. प्रसन्ना का कहना है कि मार्च 2009 तक महंगाई दर घटकर 4.5 फीसदी रहने का अनुमान है।
महंगाई दर घटकर इकाई अंक में पहुंची
21 हफ्ते के न्यूनतम स्तर पर पहुंची महंगाई
तरलता बढ़ाने के लिए रिजर्व बैंक कर सकता है ब्याज दरों में कटौती
कच्चे तेल और धातुओं की कीमतों में गिरावट से नरम पड़ी महंगाई