औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर जून महीने में 10 माह के निचले स्तर 1.5 प्रतिशत पर आ गई है। यह मई के संशोधित आंकड़ों में 1.9 प्रतिशत है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक उच्च आधार के असर और खनन और बिजली क्षेत्र में कमी के कारण ऐसा हुआ है।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के आंकड़ों से पता चलता है कि खनन क्षेत्र का उत्पादन (-8.7 प्रतिशत) लगातार तीसरे महीने कम हुआ है। वहीं बिजली क्षेत्र के उत्पादन (-2.6 प्रतिशत) में लगातार दूसरे महीने गिरावट आई है। विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन थोड़ा सुधरकर तीन महीने के उच्च स्तर 3.9 प्रतिशत पर पहुंचा है, जो मई के संशोधित आंकड़ों 3.2 प्रतिशत से अधिक है।
जून 2024 में आईआईपी की वृद्धि दर 4.93 प्रतिशत थी। वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के दौरान आईआईपी वृद्धि 2 प्रतिशत रही, जो इसके पहले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 5.4 प्रतिशत थी।
इक्रा रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि जून के दूसरे पखवाड़े में अधिक बारिश के कारण खनन क्षेत्र का उत्पादन कम हुआ है और बिजली उत्पादन में भी कमी आई है, हालांकि पहले के महीने की तुलना में अंतर कम है।
केयरएज रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा, ‘विनिर्माण क्षेत्र में मामूली वृद्धि दर्ज हुई है, लेकिन खनन व बिजली क्षेत्र के उत्पादन में कमी वृद्धि की रफ्तार परभारी पड़ गई। हाल के महीनों में आईआईपी वृद्धि दर तुलनात्मक रूप से सुस्त रही है।’
बुनियादी ढांचा क्षेत्र का उत्पादन माह के दौरान बढ़कर 7.2 प्रतिशत और इंटरमीडिएटरी वस्तुओं का उत्पादन बढ़कर 5.5 प्रतिशत हो गया है। सिन्हा ने कहा, ‘निजी पूंजीगत व्यय को अभी गति मिलना बाकी है, लेकिन सार्वजनिक व्यय उत्साहजनक बना हुआ है। बहरहाल वैश्विक अनिश्चितता कुल मिलाकर निवेश की धारणा पर विपरीत असर डाल रही है।’
उपभोग के आधार पर वर्गीकरण करें तो प्राथमिक वस्तुओं का उत्पादन (-3 प्रतिशत) लगातार तीसरे महीने गिरा है। वहीं उपभोक्ता गैर-टिकाऊ सेग्मेंट की वृद्धि दर (-0.4 प्रतिशत) लगातार पांचवें महीने में संकुचन के क्षेत्र में रही है। उपभोक्ता वस्तु सेग्मेंट के उत्पादन में वृद्धि दर (2.9 प्रतिशत) बढ़ी है।
इंडिया रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र पंत ने कहा महंगाई दर में टिकाऊ कमी का सकारात्मक असर फरवरी 2025 से मौद्रिक नीति में ढील के रूप में सामने आया है। महंगाई दर में कमी, मौद्रिक ढील व बेहतर मॉनसून के कारण अगले 2 महीनों में औद्योगिक उत्पादन में स्थिर वृद्धि नजर आ सकती है।