भारत का विदेश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Outward FDI) सितंबर 2025 में 4.41 अरब डॉलर पर सीमित रहा, जो पिछले साल इसी महीने में 4.81 अरब डॉलर था। हालांकि, अगस्त 2025 के 2.59 अरब डॉलर की तुलना में यह आंकड़ा काफी बढ़ा है। यह जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के ताजा आंकड़ों में सामने आई।
आउटबाउंड FDI, जिसे वित्तीय प्रतिबद्धता के रूप में व्यक्त किया जाता है, तीन घटकों — इक्विटी, डेट और गारंटी — में बांटा जाता है।
विदेश में इक्विटी FDI प्रतिबद्धताएं सितंबर में लगभग तीन गुना बढ़कर 2.57 अरब डॉलर हो गईं, जो पिछले साल इसी महीने 828.1 मिलियन डॉलर थीं। यह अगस्त 2025 में दर्ज 1.0 अरब डॉलर से भी ज्यादा है।
डेट (Loans) सितंबर 2025 में 952.3 मिलियन डॉलर पर आ गया, जो पिछले साल इसी महीने 1.21 अरब डॉलर था। हालांकि, यह अगस्त में दर्ज 551.2 मिलियन डॉलर से अभी भी ज्यादा है।
विदेशी इकाइयों के लिए गारंटियां सितंबर में तेजी से घटकर 892.4 मिलियन डॉलर रह गईं, जो पिछले साल इसी महीने 2.76 अरब डॉलर और अगस्त में 1.04 अरब डॉलर थीं।
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प्रमुख आउटबाउंड डील्स में, प्राइम फोकस लिमिटेड ने लक्समबर्ग में अपनी जॉइंट वेंचर इकाई DNEG में 348.71 मिलियन डॉलर की इक्विटी निवेश प्रतिबद्धता की।
इंटास फार्मास्यूटिकल्स ने नीदरलैंड में अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी एकॉर्ड प्लाज़्मा बी.वी. को 213.03 मिलियन डॉलर ऋण के रूप में प्रतिबद्ध किया।
जाइडस वेलनेस ने यूनाइटेड किंगडम में अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी के लिए 355.76 मिलियन डॉलर गारंटी के रूप में प्रतिबद्ध किया, जबकि जाइडस मेडटेक ने फ्रांस में अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी में 253.33 मिलियन डॉलर का निवेश किया।