भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) सिक्योरिटीज लेंडिंग ऐंड बॉरोइंग (एसएलबी) ढांचे यानी शेयर उधार लेने और देने की व्यवस्था की समीक्षा करेगा। इसका मकसद इस व्यवस्था को निवेशकों और कारोबारियों के अधिक अनुकूल बनाना है। यह जानकारी सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अनंत नारायण जी ने बुधवार को ग्लोबल फिनटेक फेस्ट के दौरान दी। हालांकि शेयरों की उधारी को लेकर पहले से ही एक नियामकीय ढांचा बना हुआ है। लेकिन घरेलू बाजार पर इसका प्रभाव सीमित ही रहा है।
इस व्यवस्था के तहत निवेशक या संस्थान, जिनके डीमैट खाते में शेयर होते हैं, उन्हें शुल्क लेकर उधार दे सकते हैं। यह लेनदेन स्टॉक एक्सचेंज के प्लेटफॉर्म के माध्यम से होता है। इसमें क्लियरिंग कॉरपोरेशन काउंटर-गारंटी देता है। विशेषज्ञों का कहना है कि उधार लेने वाले आमतौर पर ऐसे शेयरों का इस्तेमाल शॉर्ट-सेलिंग या निपटान डिफॉल्ट से बचने के लिए करते हैं। इस प्रणाली में शेयर मालिक को निष्क्रिय शेयरों पर अतिरिक्त आय कमाने की सुविधा मिलती है जबकि उधार देने का यह तंत्र समूचे बाजार की दक्षता बढ़ाता है।
नारायण ने कहा, ‘हम यह परखने की कोशिश कर रहे हैं कि बाजारों में एसएलबी के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए क्या कुछ किया जाना चाहिए। फिलहाल, ज्यादातर लोग शॉर्टिंग के लिए वायदा बाजार का इस्तेमाल करते हैं। हम यह संभावना टटोल रहे हैं कि क्या हम प्रक्रिया के साथ-साथ डिजाइन के नजरिये से भी बाजार कारोबारियों के लिए एसएलबी लेनदेन को आसान और बेहतर बना सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि उपयोगकर्ताओं के ज्यादा अनुकूल एसएलबी ढांचा नकद बाजार में भी कारोबार की मात्रा बढ़ा सकता है।