अप्रैल में भारत का विनिर्माण क्षेत्र काफी तेज गति से बढ़ा है। इस कारण निर्यात और रोजगार के क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार दर्ज की गई है। शुक्रवार को जारी एक निजी सर्वेक्षण में इसका खुलासा हुआ है। एसऐंडपी ग्लोबल द्वारा संकलित एचएसबीसी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) मार्च के 58.1 से बढ़कर अप्रैल में 58.2 हो गया। 50 से ऊपर के आंकड़े विनिर्माण गतिविधियों में विस्तार को दर्शाते हैं, लेकिन अगर संख्या इससे कम होती है तो विनिर्माण गतिविधियों में सुस्ती का पता चलता है। प्रमुख आंकड़े लगातार 46वें विस्तार की श्रेणी में रहा है।
सर्वेक्षण में कहा गया है, ‘मार्च 2011 के बाद से अंतरराष्ट्रीय ऑर्डरों में दूसरी सबसे तेज वृद्धि से कुल बिक्री को बल मिला है। भारतीय वस्तुओं की दमदार मांग से कंपनियों की मूल्य निर्धारण क्षमता बढ़ी है और बिक्री शुल्क अक्टूबर 2013 के बाद से सर्वाधिक हो गया है।’ नोमुरा एशिया ने शुक्रवार को अपनी एक नोट में कहा है कि अप्लैल में एशिया के अधिकतर देशों में मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई में गिरावट दर्ज की गई है।
इसका बड़ा कारण दुनिया भर में व्यापार अनिश्चितताओं के बीच नए ऑर्डरों में कमी और उत्पादन में गिरावट था। अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा सभी देशों पर 10 फीसदी बुनियादी शुल्क और चीन पर भारी भरकम 145 फीसदी शुल्क लगाने के फैसले के बाद पीएमआई का यह पहला आंकड़ा है। अप्रैल में पीएमआई बताने वाले आठ में से छह देशों ने पहले ही इसमें नरमी बताया है।
नोट में कहा गया है, ‘भारत और फिलिपींस जैसी घरेलू आधारित अर्थव्यवस्था के पीएमआई स्थिर हैं, क्योंकि होने वाले चुनावों के कारण गतिविधियों में वृद्धि देखी जा रही है। इससे पता चलता है कि घरेलू मांग बाहरी झटकों के खिलाफ वृद्धि को सहारा देने में महत्त्वपूर्ण साबित होगी। इससे खासकर राजकोषीय मसले पर नीतिगत प्रोत्साहन रफ्तार पकड़ सकती है।’
सर्वेक्षण में कहा गया है, ‘मार्च के मुकाबले मामूली बढ़कर विस्तार की दर नौ महीनों में दूसरी सबसे दमदार रही। उत्तरदाताओं ने इस वृद्धि का श्रेय दमदार घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मांग को दिया है। जनवरी को छोड़कर वित्त वर्ष 2025-26 की शुरुआत में विदेश से नए कारोबार में 14 वर्षों में सबसे ज्यादा वृद्धि हुई है।’