राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने अनुमान लगाया है कि चालू वित्त वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.4 फीसदी रह सकती है, जो चार साल में सबसे धीमी वृद्धि है। एनएसओ का अनुमान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 6.6 फीसदी वृद्धि के भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमान से कम है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में कृषि और विनिर्माण क्षेत्र के प्रदर्शन में सुधार होने का अनुमान लगाया गया है। वित्त वर्ष 2024 में जीडीपी वृद्धि दर 8.2 फीसदी रही थी।
एनएसओ ने आज जीडीपी का अपना पहला अग्रिम अनुमान जारी किया, जिसमें अक्टूबर के औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े के साथ ही नवंबर और दिसंबर के कुछ संकेतकों के आधार पर अनुमान लगाया है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में जीडीपी 6.7 फीसदी की दर से बढ़ेगा। वित्त वर्ष 2025 में सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) की वृद्धि दर 6.4 फीसदी रहने का अनुमान है।
एचडीएफसी बैंक में प्रधान अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता ने कहा कि दिसंबर तिमाही के उच्च आवृत्ति वाले संकेतक काफी हद तक एनएसओ के अनुमान के अनुरूप हैं। उन्होंने कहा, ‘उपभोक्ता मांग में थोड़ा सुधार और सरकारी खर्च बढ़ने से वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में वृद्धि को बल मिल सकता है।’ हालांकि गुप्ता ने कहा कि ताजा आंकड़ों के बावजूद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा फरवरी में दरें यथावत रखे जाने के अपने अनुमान में वह कोई बदलाव नहीं करेंगी। उनका कहना है कि आरबीआई अप्रैल में दर कटौती का चक्र शुरू कर सकती है। उन्होंने कहा, ‘दिसंबर में मुद्रास्फीति 5 फीसदी से ऊपर रह सकती है। इसके साथ ही वैश्विक अनिश्चितता और डॉनल्ड ट्रंप की आसन्न नीतियों से रुपये पर दबाव बना हुआ है।’
एनएसओ ने अनुमान लगाया गया है कि वित्त वर्ष 2025 में नॉमिनल जीडीपी वृद्धि 9.7 फीसदी रह सकती है जबकि बजट में इसके 10.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था। इससे सरकार के लिए चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को 4.9 फीसदी पर रोकने का लक्ष्य हासिल करना कठिन होगा मगर पूंजीगत खर्च में नरमी से सरकार पैसे बचा सकती है जिससे घाटे को कम करने में मदद मिलेगी।
चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में कृषि और विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में तेजी आने का अनुमान है। पहली छमाही में कृषि क्षेत्र 2.7 फीसदी की दर से बढ़ा था। इसी तरह विनिर्माण क्षेत्र दूसरी छमाही में 5.3 फीसदी बढ़ सकता है जबकि पहली छमाही में इसकी वृद्धि दर 4.5 फीसदी रही थी। मगर निर्माण क्षेत्र में नरमी बने रहने के आसार हैं।
वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में इस क्षेत्र की वृद्धि दर 8.6 फीसदी रह सकती है जो पहली छमाही में 9.1 फीसदी थी। सेवा क्षेत्र का प्रदर्शन मामूली सुधरकर 7.2 फीसदी रह सकता है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुमान के अनुसार चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में निजी और सरकारी खर्च पहली छमाही की तुलना में अधिक रहेगी। दूसरी छमाही में निजी अंतिम खपत व्यय 7.3 फीसदी बढ़ सकता है।
सरकारी खर्च में भी 4.1 फीसदी की वृद्धि देखी जा सकती है जबकि पहली छमाही में सरकारी खर्च की वृद्धि दर 2 फीसदी रही थी। सकल स्थिर पूंजी निर्माण की वृद्धि पहली छमाही के समान 6.4 फीसदी रहने का अनुमान है क्योंकि निजी निवेश में ज्यादा तेजी नहीं आई है।
केयरऐज की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि कृषि क्षेत्र में तेजी से वित्त वर्ष 2026 में जीडीपी वृद्धि दर 6.7 फीसदी रहने का अनुमान है। इसके साथ ही खाद्य पदार्थों के दाम कम होने से खपत मांग में भी तेजी आएगी, जिससे निजी निवेश को भी मदद मिलेगा। ऐसे में आने वाली तिमाही में निजी निवेश में तेजी महत्त्वपूर्ण होगा।