एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए वित्त वर्ष 2025 में मजबूत वृद्धि का अनुमान जताया है। इस एजेंसी ने अपने हालिया इंडिया आउटलुक में कहा कि मजबूत शहरी खपत, सेवा क्षेत्र की निरंतर मांग और आधारभूत ढांचे में लगातार निवेश के कारण भारतीय अर्थव्यस्था मजबूत वृद्धि के लिए तैयार है। इस वैश्विक रेटिंग एजेंसी ने शहरी मांग को प्रभावित करने वाली धीमी राजकोषीय प्रवृत्ति के बीच वित्त वर्ष 2025 के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर के अनुमान को 6.8 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि श्रम बल में ज्यादा भागीदारी, आधारभूत ढांचा व तकनीकी विकास और मजबूत सरकारी और परिवारिक बहीखाते के कारण भारत की आर्थिक वृद्धि को मदद मिल सकती है।
एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 2025-26 और 2026-27 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि क्रमश: 6.7 फीसदी और 6.8 फीसदी होने का अनु्मान जताया। यह अनुमान उसके पूर्ववर्ती अनुमानों से 20 आधार अंक कम है। वित्त वर्ष 25 की जून-सितंबर की तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि सुस्त होकर 5.4 फीसदी थी।
वैश्विक रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि भारतीय रिजर्व बैंक महंगाई का दबाव कम होने पर 2025 में मौद्रिक नीति में मामूली रियायत दे सकता है। एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के अर्थशास्त्री विश्रुत राणा ने कहा, ‘अर्थव्यवस्था के समक्ष कई चुनौतियां हैं। इन चुनौतियों में कोविड महामारी के बाद सार्वजनिक क्षेत्र और घरेलू बहीखातों में कमजोरी, अत्यधिक प्रतिस्पर्धी वैश्विक विनिर्माण माहौल और कृषि क्षेत्र की कमजोर वृद्धि शामिल हैं।’ राणा के अनुसार अपेक्षाकृत बेहतर शहरी आधारभूत ढांचे और नौकरी की गुणवत्ता सुधरने से श्रम बल भागीदारी बढ़ सकती है।
आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने हाल ही में कहा था कि अगली दो तिमाहियों में वृद्धि को दुरुस्त करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। इस क्रम में अक्टूबर में कई उच्च आवृत्ति आंकड़े सकारात्मक रुझान पेश कर रहे हैं। दरअसल दूसरी तिमाही में अचानक सात तिमाहियों की सबसे कम जीडीपी वृद्धि होने के कारण कई एजेंसियों ने वित्त वर्ष 25 के अनुमान को घटा दिया है।
यूबीएस ने वित्त वर्ष 25 के जीडीपी वृद्धि के अनुमान को पहले के 6.7 फीसदी से संशोधित कर 6.3 फीसदी कर दिया है। इस वित्तीय सेवा इकाई ने वित्त वर्ष 25 की दूसरी छमाही में चक्रीय सुधार (मंदी के बाद वृद्धि) का अनुमान जताया है।