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शताब्दी के अंत तक भारत होगा सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति: CEBR

वर्ल्ड इकनॉमिक लीग टेबल रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की तेज वृद्धि बरकरार रहेगी और यह 2024 से 2028 के बीच औसतन 6.5 प्रतिशत रहेगी।

Last Updated- January 08, 2024 | 10:03 AM IST

इस शताब्दी के अंत तक भारत सबसे बड़े आर्थिक सुपरपावर के रूप में उभरेगा। सेंटर फॉर इकोनॉमिक ऐंड बिजनेस रिसर्च (सीईबीआर) ने अपनी ताजा वर्ल्ड इकनॉमिक लीग टेबल रिपोर्ट में कहा है कि सदी के अंत तक भारत की अर्थव्यवस्था का आकार चीन से 90 प्रतिशत बड़ा और अमेरिका के जीडीपी से 30 प्रतिशत बड़ा होकर उभरेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की तेज वृद्धि बरकरार रहेगी और यह 2024 से 2028 के बीच औसतन 6.5 प्रतिशत रहेगी। साथ ही 2032 तक भारत की अर्थव्यवस्था का आकार जर्मनी और जापान से बड़ा होकर विश्व में तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगा।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘जनसांख्यिकीय व अन्य अनुमानों से उम्मीद है कि भारत 2080 के बाद चीन और अमेरिका दोनों को पछाड़ देगा।’ भारत में युवाओं की सबसे ज्यादा आबादी है। यहां बढ़ता का मध्य वर्ग, गतिशील उद्यम क्षेत्र और वैश्विक अर्थव्यवस्था से बढ़ता जुड़ाव वृद्धि के प्रमुख चालक बनेंगे।

बहरहाल अध्ययन में कहा गया है कि भारत को गरीबी घटाने, असमानता खत्म करने, मानव संसाधन और बुनियादी ढांचा में सुधार करने व पर्यावरण की सततता बनाए रखने पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। सीईबीआर रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इन समस्याओं के समाधान के लिए सरकार, निजी क्षेत्र, सिविल सोसाइटी और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मिलकर काम करने की जरूरत है।’ 2022-23 में भारत की जीडीपी में रिकॉर्ड 7.2 प्रतिशत वृद्धि हुई।

सीईबीआर का अनुमान है कि 2023-24 में वृद्धि दर थोड़ी घटकर 6.4 प्रतिशत रह जाएगी।

इसमें कहा गया है, ‘इससे वैश्विक मांग में कमी और महंगाई पर काबू पाने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दर को लेकर सख्ती के असर का पता चलता है।’
सीईबीआर रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि खाद्य व ऊर्जा की कीमत में बढ़ोतरी की वजह से तेज उत्पादन के बावजूद महंगाई दर 2023 में 5.5 प्रतिशत के करीब रहेगी। बढ़ता सरकारी कर्ज दीर्घावधि के हिसाब से विकास की राह में व्यवधान है क्योंकि 2023 में यह सकल घरेलू उत्पाद के 81.9 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है, जो 2022 में दर्ज 81 प्रतिशत से ज्यादा है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की हाल की रिपोर्ट में भी यह कहा गया था कि भारत का सामान्य सरकारी कर्ज मध्यावधि के हिसाब से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 100 प्रतिशत से ऊपर जा सकता है। वित्त मंत्रालय ने कहा है कि आईएमएफ की रिपोर्ट सिर्फ सबसे खराब स्थिति को देखते हुएतैयार की गई है। मंत्रालय ने साफ किया कि भारत में सामान्य सरकारी ऋण रुपये में है, वहीं विदेशी उधारी द्विपक्षीय और बहुपक्षीय स्रोतों से है और इसकी हिस्सेदारी बहुत कम है।

सीईबीआर रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सरकार की उधारी 2023 में जीडीपी के 8.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जिससे बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण पर खर्च के साथ विस्तार के संकेत मिलते हैं।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2024 का भारत के लिए विशेष महत्त्व है क्योंकि आगामी आम चुनावों से अगले 5 साल का राजनीतिक अनुमान मिल सकेगा।

First Published - December 27, 2023 | 11:26 PM IST

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