वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शनिवार को कहा कि भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते की चर्चा अच्छे माहौल में आगे बढ़ रही है। उन्होंने साफ-साफ बता दिया कि देश के किसानों, मछुआरों और छोटे-मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के हितों की पूरी तरह रक्षा किए बिना कोई समझौता नहीं होगा। गोयल ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “भारत के किसानों का, मछुआरों का और एमएसएमई सेक्टर का खयाल रखे बिना हम कोई डील नहीं करेंगे। देशहित सबसे ऊपर है।”
ये बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका भारत के कृषि क्षेत्र में कुछ रियायतें मांग रहा है। गोयल से जब समझौते की प्रगति और कब तक ये पूरा होगा, इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि दोनों देशों के बीच बातचीत का माहौल काफी दोस्ताना है। इस हफ्ते ही भारतीय टीम वाशिंगटन गई थी और वहां अमेरिकी अधिकारियों से मिलकर लौट रही है।
भारतीय टीम की अगुवाई वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल कर रहे थे। तीन दिनों की ये मीटिंग्स 17 अक्टूबर को खत्म हुईं। एक अधिकारी ने बताया कि चर्चा काफी सकारात्मक रही और पहले के दौरों में भी कई मुद्दों पर सहमति बनी है। फरवरी में दोनों देशों के नेताओं ने अधिकारियों को इस द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर काम करने का निर्देश दिया था। समझौते का पहला हिस्सा इस साल की सर्दियों यानी अक्टूबर-नवंबर तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। अब तक पांच दौर की बातचीत हो चुकी है। पिछले महीने गोयल खुद न्यूयॉर्क में एक टीम लेकर गए थे और वहां व्यापारिक मुद्दों पर चर्चा की।
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दोनों देशों के रिश्ते हाल के दिनों में काफी तनावपूर्ण रहे हैं। ट्रंप प्रशासन ने भारतीय सामानों पर 50 प्रतिशत तक का भारी टैरिफ लगा दिया है। इसमें रूसी कच्चे तेल की खरीद पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त आयात शुल्क भी शामिल है। भारत ने इन शुल्कों को अनुचित, गलत और बेवजह बताया है। लेकिन हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच फोन पर हुई बातचीत से उम्मीद जगी है कि समझौते का नतीजा अच्छा निकलेगा। सितंबर 16 को अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच ने दिल्ली में भारतीय अधिकारियों से मुलाकात की। उस बैठक में दोनों पक्षों ने जल्द से जल्द और दोनों के फायदे वाला समझौता करने पर सहमति जताई।
इस समझौते का बड़ा मकसद है द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाना। अभी ये 191 अरब डॉलर का है, जिसे 2030 तक 500 अरब डॉलर तक ले जाने का प्लान है। 2024-25 में अमेरिका लगातार चौथे साल भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा। उस साल दोनों देशों के बीच व्यापार 131.84 अरब डॉलर का हुआ, जिसमें भारत के निर्यात 86.5 अरब डॉलर थे। अमेरिका भारत के कुल सामान निर्यात का करीब 18 प्रतिशत हिस्सा लेता है, जबकि आयात में 6.22 प्रतिशत और कुल व्यापार में 10.73 प्रतिशत। लेकिन सितंबर में अमेरिका को भारत के निर्यात में 11.93 प्रतिशत की गिरावट आई और ये 5.46 अरब डॉलर रह गया। वजह वाशिंगटन के ऊंचे टैरिफ बताए जा रहे हैं। वहीं, आयात 11.78 प्रतिशत बढ़कर 3.98 अरब डॉलर हो गया। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों से ये साफ है कि टैरिफ का असर दोनों तरफ पड़ रहा है, लेकिन बातचीत से रास्ता निकलने की उम्मीद है।
(PTI के इनपुट के साथ)