Wheat production: भारत में इस साल गेहूं की पैदावार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है। फरवरी में तापमान ज़रूर थोड़ा ज्यादा रहा (जो पिछले 100 सालों में दूसरा सबसे गर्म फरवरी था) लेकिन गेहूं के लिए सबसे जरूरी समय यानी “अनाज भरने” के दौरान मौसम अच्छा रहा। इससे फसल की पैदावार बेहतर हो गई है।
भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान के डायरेक्टर रतन तिवारी ने कहा कि इस बार मौसम अनुकूल रहा और ना ही ओलावृष्टि या किसी बड़ी फसल वाली बीमारी की कोई खबर आई। इसके साथ ही जलवायु को सहने वाले और ज्यादा उपज देने वाले बीजों के इस्तेमाल ने भी उत्पादकता बढ़ाने में मदद की। अब जब फसल अच्छी हो रही है, तो आटा मिल मालिकों ने सरकार से गेहूं उत्पादों के निर्यात पर लगी पाबंदी हटाने की मांग की है। रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष नवनीत चितलांगिया ने कहा कि अभी कुछ हफ्ते पहले तक संस्था ने आयात कर घटाने की मांग की थी क्योंकि उन्हें फसल पर चिंता थी, लेकिन अब माहौल बदल गया है।
उनका कहना है, “सरकारी गोदाम भरे पड़े हैं और निजी व्यापारियों के पास भी पर्याप्त स्टॉक है। ऐसे में सरकार को गेहूं उत्पादों के निर्यात की इजाजत देनी चाहिए।” देशभर में अब गेहूं की कटाई अंतिम चरण में है।
अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) का अनुमान है कि भारत में गेहूं का उत्पादन इस साल 117 मिलियन टन तक पहुंच सकता है, जो अब तक का रिकॉर्ड होगा। इससे देश के पास सीजन के अंत में पिछले चार सालों में सबसे ज्यादा गेहूं स्टॉक रहेगा। भारत में अगर गेहूं का उत्पादन बढ़ा और सरकार ने निर्यात की इजाजत दी, तो इसका असर दुनिया भर में गेहूं की कीमतों पर पड़ सकता है। अभी तक इस महीने वैश्विक गेहूं की कीमतें करीब 3 फीसदी बढ़ चुकी हैं। भारत में भी इससे खाने-पीने की चीजों की महंगाई कम हो सकती है।
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भारत सरकार ने 2022 में गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी क्योंकि उस साल मार्च में रिकॉर्ड गर्मी पड़ी थी, जिससे खेत सूख गए थे और उत्पादन गिर गया था। लेकिन इस साल ऐसा कुछ नहीं हुआ। रतन तिवारी का कहना है कि इस बार गेहूं उगाने वाले ज़्यादातर राज्यों में तापमान ज्यादा नहीं बढ़ा और मौसम अनुकूल रहा।
खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि सरकार की एजेंसी ‘भारतीय खाद्य निगम’ ने अब तक 29.6 मिलियन टन गेहूं खरीद लिया है, जो पिछले साल से 14% ज्यादा है। इस बार कुल सरकारी खरीद 32.5 मिलियन टन तक पहुंच सकती है, जो 22% की बढ़त होगी। जोशी ने कहा कि जब सरकार की खरीद पूरी हो जाएगी, तो खाद्य मंत्रालय दूसरे विभागों से मिलकर देश की जरूरतों का आकलन करेगा और उसके बाद यह तय किया जाएगा कि निर्यात की इजाजत दी जाए या नहीं।
मार्च में कृषि मंत्रालय ने अनुमान लगाया था कि इस साल उत्पादन 115.43 मिलियन टन तक पहुंच सकता है। तब कई विशेषज्ञों को संदेह था क्योंकि उस वक्त मौसम बार-बार बदल रहा था और फसल अभी पकी नहीं थी। लेकिन अब जब अधिकतर जगहों पर मौसम अच्छा रहा है और किसी बड़ी समस्या की खबर नहीं है, तो उम्मीद की जा रही है कि यह अनुमान सही साबित हो सकता है। (एजेंसी के इनपुट के साथ)