रूस और यूक्रेन से गेहूं आयात करने वाले दुनिया के 30 देशों में भारत गेहूं निर्यात करने की संभावना तलाश रहा है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने इसकी जानकारी दी। इनमें से करीब 10 से 15 देश पहले ही रूस और यूक्रेन के साथ भारत से भी गेहूं का आयात कर रहे हैं लेकिन रूस और यूक्रेन की तुलना में भारत की हिस्सेदारी काफी कम है।
इसके अलावा 10 से 15 देश ऐसे हैं जो रूस और यूक्रेन से ही कई दशक से गेहूं का आयात कर रहे हैं। भारत इन देशों को गेहूं निर्यात कर रूस और यूक्रेन की जगह लेना चाहता है। इसके लिए भारत सरकार से सरकार के बीच करार के जरिये या निजी व्यापारिक माध्यमों से निर्यात बढ़ाने पर ध्यान दे रहा है।
इन देशों में मिस्र, सीरिया, मोरक्को, तुर्की, अजरबैजान, सूडान, इटली, यमन, ग्रीस और पूर्वी अफ्रीका के सभी देश शामिल हैं, जो यदा-कदा भारत से गेहूं खरीदते हैं। एपीडा के चेयरमैन डॉ. मधैया अंगामुत्तू ने कहा, ‘हमारा मकसद मौजूदा संकट के लिए ही इस तरह की व्यवस्था करना नहीं है बल्कि हम इन बाजारों में अच्छी गुणवत्ता वाले गेहूं के दीर्घकालिक और भरोसमंद आपूर्तिकर्ता बनना चाहते हैं, जहां अभी रूस और यूक्रेन का एक तरह से वर्चस्व है। हम अल्पावधि के लाभ को नहीं देख रहे हैं बल्कि इस अवसर का इस्तेमाल कर दुनिया के प्रमुख गेहूं आयातक देशों के साथ मजबूत और दीर्घकालिक रिश्ता कायम करना चाहते हैं।’ दुनिया के अग्रणी गेहूं आयातक देशों में मिस्र, इंडोनेशिया, तुर्की, चीन, नाइजीरिया, इटली, अलजीरिया, फिलीपींस, जापान, मोरक्को, ब्राजील आदि शामिल हैं।
इनमें से बांग्लादेश, इंडोनेशिया, फिलीपींस, नाइजीरिया और जापान में ही भारत का गेहूं जाता है। ऐसे में भारत के पास निर्यात का विस्तार करने की व्यापक संभावना है क्योंकि प्रमुख निर्यातक देश रूस और यूक्रेन युद्घ की वजह अभी कुछ महीनों तक दोनों देशों से दूर रह सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार इन 30 देशों में गेहूं निर्यात करने का निर्णय वाणिज्य मंत्रालय द्वारा गुरुवार को बुलाई गई उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया। इस बैठक में अग्रणी गेहूं निर्यातकों के साथ अन्य संबंधित मंत्रालयों के अधिकारी भी शामिल थे। प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इस बैठक में मौजूद थे।
केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2023 में करीब 1.1 से 1.2 करोड़ टन गेहूं निर्यात का लक्ष्य रखा है, जो वित्त वर्ष 2022 की तुलना में 70 से 72 लाख टन अधिक है। हालांकि कुछ व्यापारियों का कहना है कि 1 से 1.1 करोड़ टन निर्यात का लक्ष्य वाजिब हो सकता है क्योंकि मॉनसून के दौरान निर्यात धीमा पड़ जाएगा।
