ब्रिटेन-भारत तकनीकी सुरक्षा पहल (टीएसआई) के तहत भारत ने महत्त्वपूर्ण खनिज के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए बातचीत शुरू कर दी है। इस बातचीत की कड़ी में भारत में तैनात ब्रिटिश उच्चायुक्त लिंडी कैमरून ने पिछले सप्ताह खनन मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात की।
बिज़नेस स्टैंडर्ड को मिली जानकारी के मुताबिक इसका मकसद खासकर महत्त्वपूर्ण खनिजों को निकालने और उनकी रिसाइक्लिंग के लिए आर्थिक रूप से व्यावहारिक, पर्यावरण के हिसाब से सतत तकनीक विकसित करने की दिशा में सहयोग की संभावनाएं तलाशना है।
एक सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘दोनों पक्षों के बीच शुरुआती स्तर की बातचीत पूरी हो गई है। इसका मसकद महत्त्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला का नेतृत्व करना और चीन पर निर्भरता कम करना है। अगले महीनों में इस बारे में और बैठकेें होंगी।’
ब्रिटेन-भारत टीएसआई का 24 जुलाई को औपचारिक रूप से गठन हुआ। यह एक रणनीतिक ढांचा है, जिसका मकसद कुछ प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना है, जिनमें महत्त्वपूर्ण खनिज, सेमीकंडक्टर, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस, क्वांटम टेक्नोलॉजिज, बायोटेक्नोलॉजी और एडवांस्ड मिनरल्स शामिल हैं।
ब्रिटेन के साथ सहयोग, महत्त्वपूर्ण खनिज क्षेत्र में भारत की तीसरी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय साझेदारी है। भारत पहले ही अमेरिका के नेतृत्त्व वाले मिनरल सिक्योरिटी पार्टनरशिप (एमएसपी) का सदस्य है, जिसका उद्देश्य विश्वसनीय महत्त्वपूर्ण खनिज आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुरक्षित करना है।
इसके अलावा भारत ऑस्ट्रेलिया क्रिटिकल मिनरल्स इन्वेस्टमेंट पार्टनरशिप के तहत भारत ने ऑस्ट्रेलिया के साथ साझेदारी की है, जिसका मकसद महत्त्वपूर्ण खनिज के अन्वेषण और विकास पर ध्यान केंद्रित करना है।
चर्चा के दौरान दोनों पक्षों ने महत्त्वपूर्ण खनिज के क्षमता निर्माण कार्यक्रम, प्रॉसेसिंग, डेटा प्रबंधन और इसके लिए धन की व्यवस्था पर ध्यान केंद्रित किया, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भारत और ब्रिटेन अपने खनिज संसाधनों के प्रबंधन और उनके अधिकतम इस्तेमाल के लिए पूरी तरह तैयार हैं। बातचीत का एक और प्रमुख क्षेत्र भारत में क्रिटिकल मिनरल रिसाइक्लिंग सेंटर की स्थापना है। यह केंद्र कीमती महत्त्वपूर्ण खनिजों की रिसाइक्लिंग पर केंद्रित होगा।