भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 2,000 रुपये के नोटों को वापस लेने के फैसले ने जनता के बीच भ्रम पैदा कर दिया है। बैंकों ने मंगलवार को प्रतिदिन 20,000 रुपये प्रति व्यक्ति तक के 2,000 रुपये के नोटों को बदलना शुरू कर दिया। लोगों को अपने बैंक खातों में नोट जमा करने की भी अनुमति है।
मंगलवार को हालांकि 2,000 रुपये के नोटों को बदलने के लिए बैंकों में कोई भीड़ नहीं थी, लेकिन नोट बदलने की प्रक्रिया क्या है और एक्सचेंज के लिए कौन से डॉक्यूमेंट देने होंगे, इसको लेकर कोई स्पष्टता नहीं थी। मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि कुछ शाखाएं लोगों से एक फॉर्म भरने के लिए कह रही थीं; दूसरी ओर, अन्य शाखाओं ने बिना कोई फॉर्म भराये नोटों को बदल दिया।
इस हफ्ते की शुरुआत में, RBI गवर्नर ने कहा था कि 2016 में नोटबंदी की शुरुआत के बाद 2,000 रुपये की करेंसी को नोटों को कमी को तुरंत पूरा करने के लिए लाया गया था। उन्होंने कहा कि अब RBI हाई वैल्यू के नोटों की संख्या कम करना चाहता है और सभी 2,000 रुपये के नोटों को बदलने के लिए छोटे मूल्यवर्ग के नोटों का पर्याप्त स्टॉक है।
इस कदम के साथ, 500 रुपये का नोट भारतीय अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा बैंकनोट बन जाएगा। हालांकि, पिछले हफ्ते घोषणा के बाद से, रिपोर्ट्स निकलकर आई हैं कि RBI ने 2014 में अर्थव्यवस्था में 5,000 रुपये और 10,000 रुपये के नोट पेश करने का विचार किया था।
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10,000 का नोट लाने पर किया जा रहा था विचार
द टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) की एक पुरानी रिपोर्ट के अनुसार, रघुराम राजन के नेतृत्व में RBI ने देश में 5,000 रुपये और 10,000 रुपये के नोट शुरू करने की सिफारिश की थी। अक्टूबर 2014 में केंद्रीय बैंक ने लोक लेखा समिति को यह बात कही थी।
RBI ने समिति को बताया था कि देश में महंगाई के कारण 1,000 रुपये के नोट का मूल्य पर्याप्त नहीं है। इसलिए, अर्थव्यवस्था को नुकसान से बचाने के लिए बड़ी वैल्यू के नोटों की जरूरत है। यह फैसला 2016 तक पेंडिंग था, और नोटबंदी के बाद, केंद्र ने 2,000 रुपये के नोट को पेश करने की मंजूरी दी।
इकॉनमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 2,000 रुपये के नोटों की छपाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा के महीनों पहले शुरू हो गई थी। ईटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि उन्होंने 5,000 रुपये और 10,000 रुपये के नोटों के विचार को स्वीकार नहीं किया क्योंकि वे 1,000 रुपये के नोटों का कोई जल्दी रिप्लेसमेंट चाहते थे।
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पहले भी देश में चल चुका 10,000 का नोट
भारत पहले भी 10,000 रुपये के नोट को ला चुका है। RBI की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, इस नोट को सबसे पहले 1938 में पेश किया गया था। RBI ने उस साल 5,000 रुपये के नोट भी छापे थे। हालांकि, देश की आजादी से ठीक पहले जनवरी 1946 में इनको बंद कर दिया गया था। इन नोटों को फिर से 1954 में जारी किया गया और 1978 में बंद कर दिया गया।
RBI अधिनियम, 1934 की धारा 24 के अनुसार, ‘बैंक नोट दो रुपये, पांच रुपये, दस रुपये, बीस रुपये, पचास रुपये, सौ रुपये, पांच सौ रुपये, एक हजार रुपये, पांच हजार रुपये के मूल्यवर्ग के हो सकते हैं। लेकिन 10 हजार रुपये मूल्य वर्ग से ऊपर का नोट छापने की अनुमति नहीं है।