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सितंबर तक आ जाएंगे ITI अपग्रेड योजना के दिशानिर्देश: अतुल कुमार तिवारी

शिवा राजौरा और असित रंजन मिश्र के साथ बातचीत में कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के सचिव अतुल कुमार तिवारी ने इस योजना की वजह और आने वाली चुनौतियों की जानकारी दी।

Last Updated- August 07, 2024 | 10:11 PM IST
Atul Kumar Tiwari
अतुल कुमार तिवारी, सचिव, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय

1000 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) को हब ऐंड स्पोक मॉडल में अपग्रेड करने की सरकार की कवायद का नेतृत्व कौशल मंत्रालय करेगा, जिसकी घोषणा वित्त वर्ष 2025 के बजट में की गई थी। शिवा राजौरा और असित रंजन मिश्र के साथ बातचीत में कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के सचिव अतुल कुमार तिवारी ने इस योजना की वजह और आने वाली चुनौतियों की जानकारी दी। मुख्य अंशः

केंद्रीय बजट में रोजगार सृजन के साधन के रूप में कौशल विकास पर बहुत ज्यादा जोर दिया गया है। वित्त मंत्री ने 1000 आईटीआई के अपग्रेडेशन पर विशेष जोर दिया है। आप इसे किस तरह से देखते हैं?

केंद्रीय बजट ने आईटीआई को चर्चा में ला दिया है, जो देश में दीर्घावधि (कौशल) प्रशिक्षण की नींव रहे हैं। यह हकीकत है कि बदलते वक्त के मुताबिक आईटीआई में बदलाव की जरूरत है। हमें इस पहेली को भी सुलझाना होगा कि राज्यों को भी आईटीआई में सुधार के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इस योजना से पता चलता है कि सरकार कौशल विकास करने को इच्छुक है और साथ ही इनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती है कि उद्योग व राज्यों, दोनों को ही इनके सुधार में भूमिका निभानी है।

इस योजना की रूपरेखा क्या होगी? क्या मंत्रालय ने कोई खाका तैयार किया है?

हमारा मंत्रालय प्रमुख क्षेत्रों के उद्योग संगठनों के साथ परामर्श करने की योजना बना रहा है। उदाहरण के लिए निर्माण क्षेत्र के लिए टाटा प्रोजेक्ट्स, एलऐंडटी, क्रेडाई से बातचीत होगी। वहीं हरित ऊर्जा, टेक्सटाइल और गारमेंट्स, एडवांस मैन्युफैक्चरिंग, हैवी इंजीनियरिंग, ऑटोमोबाइल, प्रॉसेस इंडस्ट्री, इलेक्ट्रॉनिक्स और दूरसंचार क्षेत्र से भी एक एक करके बातचीत की जाएगी।

योजना को एकरूप बनाने के लिए ये परामर्श जरूरी हैं, जिससे कि अधिकतम वित्तपोषण सुनिश्चित हो सके, राज्य और उद्योग की भागीदारी में सुधार हो और विस्तृत दिशानिर्देश तैयार किया जा सके। इनपुट लेने के लिए आने वाले हफ्तों में राज्य सरकारों से भी परामर्श किया जाएगा। 200 आईटीआई को हब के रूप में जबकि 800 को स्पोक के रूप में विकसित किया जाएगा, जो राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थानों से जुड़े होंगे।

इसके पहले भी आईटीआई में सुधार की योजना बनी थी। नया कार्यक्रम पहले से अलग कैसे है?

इस योजना में आईटीआई के चयन के लिए चैलेंज मेथड को स्वीकार किया गया है। साथ ही राज्यों की हिस्सेदारी, उद्योग का सहयोग और परिणाम पर आधारित रणनीति बनाई गई है। इसकी वजह से यह पहले की कवायदों से अलग है। इसके पहले विभिन्न योजनाओं के माध्यम से उपलब्ध कराई गई वित्तीय सहायता आईटीआई के पूरी तरह से सुधार के लिए कम थी।

क्या उद्योग इस योजना में अपने हिस्से का 10,000 करोड़ रुपये देने को सहमत है? क्या यह धन सीएसआर फंड से आएगा? अगर नहीं और यदि यह स्वैच्छिक है तो

उद्योग इसमें हिस्सा न लेने का विकल्प चुनेंगे?

आईटीआई को आधुनिक बनाने में उद्योग राज्यों का सहयोग कर रहे हैं। यह योजना एक ढांचा मुहैया कराएगी, जिसमें 3 हिस्सेदार (केंद्र, राज्य व उद्योग) साथ आएंगे। 10,000 करोड़ रुपये उद्योग से आएंगे।

हम यह नहीं कह रहे हैं कि यह सीएसआर होगा या कुछ और। यह उद्योग की ओर से आएगा, जैसे टाटा ने एक अलग कंपनी बनाई है और वह मुंबई और अहमदाबाद में 2 कौशल विद्यालय चला रहे हैं। हमने एक ढांचा तैयार किया है, जिस पर हम काम करेंगे, जो सबसे लिए फायदेमंद होगा।

योजना को लागू करने की दिशा में अगला कदम क्या होगा? आप कब तक दिशानिर्देश को अंतिम रूप मिलने की उम्मीद कर रहे हैं?

बजट में ही इस योजना की व्यापक रूपरेखा प्रस्तुत की गई है। हम सिर्फ सभी को एक साथ जोड़ेंगे। हमने पहले ही हिस्सेदारों से परामर्श शुरू कर दिया है। सितंबर के अंत तक दिशानिर्देशों को अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है।

आईटीआई में विद्यार्थियों व शिक्षकों दोनों की रिक्तियां चिंता का विषय है। नई योजना से इसमें कैसे सुधार आएगा? राज्य सरकारों व उद्योग की क्या भूमिका होगी?

शिक्षकों के पदों को भरना संबंधित राज्य सरकारों का प्रशासनिक मसला है। योजना के तहत इंसट्रक्टरों की भर्ती और राज्य सरकारों द्वारा बजट की व्यवस्था करना सहायता राशि जारी किए जाने की आवश्यक शर्त है। पाठ्यक्रम की डिजाइन तैयार करने, ट्रेनरों और मशीनरी को लेकर उद्योग के समर्थन पर काम किया जाएगा।

केंद्रीय बजट में इंटर्नशिप योजना की घोषणा के बाद अप्रेंटिसशिप कार्यक्रम का क्या होगा, जो पहले ही चल रहा है?

इंटर्नशिप, अप्रेंटिसशिप नहीं है। अप्रेंटिसशिप कार्यक्रम जारी रहेगा और आंकड़ों से पता चलता है कि कंपनियों में अपरेंटिस पर लेने में धनात्मक वृद्धि दर्ज हुई है। इसका नियमन अप्रेंटिसशिप ऐक्ट 1961 के तहत होता है, जिसके तहत फर्मों को अपरेंटिस के लिए भर्तियां करनी होती हैं, जबकि इंटर्नशिप स्वैच्छिक प्रकृति का है।

First Published - August 7, 2024 | 9:40 PM IST

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