नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनैंस ऐंड पॉलिसी (एनआईपीएफपी) ने मंगलवार को साल के मध्य की अपनी नवीनतम की आर्थिक समीक्षा में कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दर को युक्तिसंगत बनाए जाने और अमेरिका की अर्थव्यवस्था का क्षमता के मुताबिक प्रदर्शन होने से चालू वित्त वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था 7.4 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है।
इस साल अप्रैल की समीक्षा में इसने वित्त वर्ष 26 में 6.6 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया था। वहीं भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 6.8 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है, ‘सार्वजनिक क्षेत्र में भारी निवेश, ग्रामीण व शहरी दोनों क्षेत्रों में घरेलू खपत की मांग बहाल होने, वस्तु एवं सेवा कर को युक्तिसंगत बनाए जाने और बाहरी क्षेत्र खासकर अमेरिका का प्रदर्शन बेहतर रहने की उम्मीद से भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर तेज रहने की उम्मीद है।’
हालांकि वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले स्वायत्त शोध संस्थान ने अपनी समीक्षा में दो वैकल्पिक परिदृश्य भी बताया है, जिसमें अमेरिकी अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन उम्मीद से बेहतर और उम्मीद से कमतर रहने की परिकल्पना की गई है। इसके मुताबिक अगर अमेरिकी उत्पादन संभावित से 1 प्रतिशत ऊपर रहता है, तो अर्थव्यवस्था 8.8 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है, जबकि अगर अमेरिकी उत्पादन संभावित से 1 प्रतिशत नीचे रहने पर वित्त वर्ष 2026 में आर्थिक वृद्धि दर 6 प्रतिशत रहने की संभावना है।
इसके अलावा एनआईपीएफपी ने खाद्य महंगाई दर में कमी के कारण चालू वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई दर 1.6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। साथ ही यह भी उल्लेख किया है कि खाद्य तेल की महंगाई दर ऊंची बनी हुई है और सोने और चांदी में देखी गई तेज मूल्य वृद्धि के कारण मुख्य महंगाई दर बढ़ रही है।