वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह मार्च में 1.42 लाख करोड़ रुपये रहा, जो रिकॉर्ड है। जुलाई से लगातार जीएसटी संग्रह 1.1 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है। इससे पहले जनवरी में 1.40 लाख करोड़ रुपये जीएसटी वसूली हुई थी।
फरवरी महीने में जारी जीएसटी ई-वे बिल की संख्या बढ़ गई थी, जिसका असर मार्च 2022 में जीएसटी राजस्व में दिखा है। अप्रैल महीने में भी जीएसटी संग्रह में तेजी बनी रह सकती है। पिछले साल मार्च की तुलना में इस साल मार्च में जीएसटी संग्रह 15 फीसदी अधिक रहा है। मार्च 2020 की तुलना में राजस्व संग्रह 46 फीसदी ज्यादा रहा है। वित्त मंत्रालय द्वारा आज जारी अंतरिम आंकड़ों के अनुसार फरवरी में जीएसटी संग्रह 1.33 लाख करोड़ रुपये रहा था। फरवरी के संग्रह पर कोरोनावायरस की तीसरी लहर का असर दिखा था, जिसके कारण सकल जीएसटी संग्रह जनवरी के 1.40 लाख करोड़ रुपये से कम रहा था।
फरवरी में कुल 6.91 करोड़ ई-वे बिल जारी किए गए थे, जबकि जनवरी में 6.88 करोड़ ई-वे बिल जारी हुए थे। मंत्रालय ने कहा कि ई-वे बिल में इजाफा आर्थिक गतिविधियों में सुधार का संकेत है। सरकार द्वारा अनुपालन उपायों को सख्त बनाए जाने और जीएसटी चोरी एवं फर्जी बिलों पर रोक के उपायों से भी संग्रह बढ़ाने में मदद मिली है। इसके साथ ही व्युत्क्रम शुल्क ढांचे में
सुधार से भी राजस्व संग्रह में इजाफा हुआ है। डेलॉयट इंडिया के पार्टनर एमएस मणि ने कहा, ‘बिक्री में मजबूती की वजह से भी मार्च में रिकॉर्ड जीएसटी वसूली हुई।’ उन्होंने कहा कि प्रमुख आर्थिक संकेतक में सुधार के साथ ही जीएसटी उपकर चोरी का पता लगाने के लिए डेटा माइनिंग से भी संग्रह में वृद्घि हुई है। मंत्रालय ने कहा कि मार्च में आयातित वस्तुओं से राजस्व 25 फीसदी बढ़ा है और घरेलू सौदों से जीएसटी संग्रह में 11 फीसदी का इजाफा हुआ है। कुल संग्रह में सीजीएसटी 25,830 करोड़ रुपये, एसजीएसटी 32,378 करोड़ रुपये, आईजीएसटी 74,470 करोड़ रुपये और उपकर 9,417 करोड़ रुपये रहा। वित्त वर्ष 2022 की अंतिम तिमाही में औसत मासिक जीएसटी संग्रह 1.38 लाख करोड़ रुपये रहा।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘ज्यादा जीएसटी संग्रह के साथ ही सीमा शुल्क और प्रत्यक्ष कर संग्रह में इजाफा होने से सरकार का सकल कर राजस्व वित्त वर्ष 2022 के संशोधित अनुमान से अधिक रह सकता है।’
