सरकार लंबे समय से लंबित राष्ट्रीय खुदरा व्यापार नीति पर आगे बढ़ने का विचार त्याग सकती है। सरकार खुदरा विक्रेताओं की जरूरतों और उनके कल्याण के लिए कदम उठा रही है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘कई कदम उठाए गए हैं। ओएनडीसी (डिजिटल कॉमर्स के लिए खुला नेटवर्क) उनमें से एक है। एक राष्ट्रीय व्यापारी कल्याण बोर्ड है और हम उनके साथ विस्तार से बातचीत करते रहते हैं। इसलिए समय-समय पर कई कदम उठाए गए हैं और सरकार नियमित रूप से खुदरा विक्रेताओं के मुद्दों का ध्यान रखती रही है।’
औद्योगिक संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) ने 4 साल पहले मसौदा राष्ट्रीय खुदरा व्यापार नीति तैयार किया था। इसमें अनुपालन का बोझ कम करने, ऋण तक पहुंच बढ़ाने और छोटी चूक को आपराधिक कानून से निकालने सहित कारोबार सुगमता को प्रोत्साहन देने पर ध्यान केंद्रित किया गया था। मसौदे में लाइसेंस की जरूरत का आकलन, जांच संबंधी सुधार, एकल खिड़की सुविधा बनाने के साथ अन्य मसलों पर जोर दिया गया था। बहरहाल अंतिम नीति सामने नहीं आ पाई है।
बहरहाल कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स के सेक्रेटरी जनरल और सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि भारत को खुदरा व्यापार नीति बनाने की जरूरत है, क्योंकि इससे देश के 8 करोड़ से ज्यादा छोटे कारोबारियों को ताकत मिलेगी।