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विदेशी एयरलाइंस को GST से मिल सकती है छूट

एक विशेषज्ञ ने कहा कि जीएसटी परिषद की प्रस्तावित बैठक 8 महीने के अंतराल पर होने जा रही है और इसमें दरों को तर्कसंगत बनाने पर चर्चा का इंतजार रहेगा।

Last Updated- June 13, 2024 | 10:51 PM IST
GST Council MEET

वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद की 22 जुलाई को प्रस्तावित बैठक में विदेशी विमनानन और शिपिंग कंपनियों के कराधान पर अनिश्चितता खत्म करने का निर्णय लिया जा सकता है। मामले के जानकार एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को इसकी जानकारी दी।

अधिकारी ने कहा कि परिषद विदेशी विमानन कंपनियों को भारतीय परिचालन के लिए विमान पट्टे का किराया, रखरखाव और चालक दल के वेतन आदि जैसी सेवाओं पर जीएसटी से छूट देने जैसे मुद्दों पर भी निर्णय कर सकता है।

कई विदेशी विमान कंपनियों और शिपिंग फर्मों को मूल कंपनी द्वारा भारतीय इकाई को दी गई सेवाओं पर जीएसटी का भुगतान नहीं करने के लिए नोटिस मिले हैं। इसके बाद विदेशी कंपनियों ने वित्त मंत्रालय और अपने दूतावासों से संपर्क किया था और इस मुद्दे का जल्द समाधान करने की गुहार लगाई थी।

इंटरनैशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के प्रमुख ने इस महीने की शुरुआत में आगाह किया था कि अगर इस मुद्दे को हल नहीं किया गया तो विमानन कंपनियां भारतीय बाजार से निकल जाएंगी।

समझा जाता है कि केंद्र और राज्यों के राजस्व अधिकारियों वाली फिटमेंट समिति ने इस मसले की समीक्षा कर सिफारिशें दी हैं जिसे परिषद की बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा।

एक अन्य अधिकारी ने कहा कि फिटमेंट समिति ने इसका मूल्यांकन किया है कि क्या इसे विदेशी संस्थाओं के भारतीय दफ्तरों को खर्चों की
प्रतिपूर्ति मानी जाए और इस पर जीएसटी से छूट दी जा सकती है। उक्त अधिकारी ने कहा कि परिषद में निर्णय होने पर इस बारे में स्पष्टीकरण जारी किया जाएगा।

कर अधिकारियों का कहना है कि भारतीय इकाइयां अलग कानूनी इकाइयां हैं और उनके मुख्यालय द्वारा प्रदान की गई सेवाएं भारत में कर के दायरे में आती हैं।

जीएसटी की जांच शाखा डीजीजीआई ने नोटिस जारी कर कहा है कि विदेश में स्थिति मुख्यालय द्वारा भारतीय इकाइयों को प्रदान की गई सेवाओं पर ‘रिवर्स चार्ज’ के आधार पर जीएसटी की देनदारी बनती है। रिवर्स चार्ज में आपूर्तिकर्ता के बजाय समान या सेवाओं की आपूर्ति प्राप्त करने वाले को कर देना होता है।

केपीएमजी में पार्टनर और अप्रत्यक्ष कर के प्रमुख अभिषेक जैन ने कहा, ‘जीएसटी के तहत अंतर-इकाई क्रॉस शुल्क की करदेयता और मूल्यांकन एक जटिल मुद्दा रहा है। इसमें जीएसटी के तहत विदेश स्थित मुख्यालय द्वारा भारतीय शाखा को सेवाओं/आपूर्ति पर जीएसटी देनदारी का मूल प्रावधान है या नहीं, इस बारे में अस्पष्टता बनी हुई है।’

जैन ने कहा कि हाल ही में संबंधित पक्षों/विशिष्ट व्यक्तियों पर एक परिपत्र के जरिये स्पष्टता लाई गई है, जिसमें कहा गया था कि मुख्यालय और भारतीय शाखाओं के बीच इस तरह की प्रतिपूर्ति पर स्पष्टता लाई गई है जिससे अनावश्यक मुकदमेबाजी से बचने में मदद मिलेगी।

एक विशेषज्ञ ने कहा कि जीएसटी परिषद (GST Council) की प्रस्तावित बैठक 8 महीने के अंतराल पर होने जा रही है और इसमें दरों को तर्कसंगत बनाने पर चर्चा का इंतजार रहेगा।

डेलॉयट में पार्टनर एमएस मणि ने कहा, ‘प्रारंभिक प्रयास प्राकृतिक गैस जैसे पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने का प्रयास होगा। इससे कारोबार को काफी लाभ होगा। जीएसटी संग्रह में स्थिरता को देखते हुए जीएसटी परिषद को विभिन्न मुद्दों को हाल करने पर विचार करना चाहिए क्योंकि जीएसटी में बदलाव आम बजट प्रस्ताव से इतर मामला होता है।’

First Published - June 13, 2024 | 10:34 PM IST

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