वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने ऋण विशेष तौर पर असुरक्षित खुदरा ऋण में तेजी से वृद्धि पर चिंता जताई है। इसके सावधानीपूर्वक प्रबंधन की जरूरत है अन्यथा भारत के ऋणदाताओं बैंक और वित्तीय संस्थाओं के लिए उधारी की लागत और जोखिम बढ़ जाएगा। भारत में निजी ऋण/जीडीपी अनुपात वर्ष 2022 में करीब 57 प्रतिशत रहा जो अभी ‘बीबीबी’ श्रेणी के 50 फीसदी वाले मीडिअन फॉर सॉवरिन से थोड़ा ज्यादा है।
भारतीय रिजर्व बैंक की जून 2023 की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में बढ़ते असुरक्षित खुदरा ऋण पर प्रकाश डाला था। खुदरा ऋण की मार्च 2021 से मार्च 2023 के दौरान मिश्रित वार्षिक वृद्धि दर (जीएजीआर) 24.8 प्रतिशत थी जो इस आलोच्य अवधि के दौरान सकल अग्रिमों के 13.8 प्रतिशत की करीब दोगुनी थी।
इस अवधि के दौरान सुरक्षित और असुरक्षित अग्रिम में भी बदलाव आया है। इस दौरान असुरक्षित खुदरा ऋण 22.9 फीसदी से बढ़कर 25.2 फीसदी हो गया और सुरक्षित ऋण 77.1 फीसदी से घटकर 74.8 प्रतिशत हो गया।
पूरी बैंकिंग व्यवस्था में असुरक्षित खुदरा ऋण की हिस्सेदारी केवल 7.9 फीसदी थी। इस अवधि में इन संपत्ति की गुणवत्ता बेहतर हुई और सकल गैर निष्पादित संपत्तियों का अनुपात 3.2 फीसदी से गिरकर 2.0 प्रतिशत हो गया। खुदरा ऋण में संभावित दबाव के संकेत हैं लेकिन यह सिस्टम की स्थिरता के लिए तत्काल कोई खतरा नहीं हैं।