प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार का सितंबर तक प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेवाई) को विस्तार देने के निर्णय से वित्त वर्ष 2022-23 के लिए खाद्य सब्सिडी परिव्यय बढ़कर 2.86 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा जबकि बजट में इसके लिए 2.06 लाख करोड़ रुपये का अनुमान लगाया गया था। उच्च वैश्विक जिंस कीमतों और उर्वरक सब्सिडी पर इनके असर ने आगामी वर्ष के लिए केंद्र सरकार के राजकोषीय घाटा लक्ष्य को दबाव में ला दिया है।
यदि 2022 के केंद्रीय बजट में बाकी सभी अनुमान पहले जैसे ही रहते हैं तब गणना से पता चलता है कि पीएमजीकेएवाई को जारी रखने पर आने वाले 80,000 करोड़ रुपये के परिव्यय से वित्त वर्ष 2023 में राजकोषीय घाटे का बजट अनुमान 17.4 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच जाएगा जबकि इससे पहले ये 16.6 लाख करोड़ रुपये था। यदि प्रतिशत के संदर्भ में देखें तो यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.74 फीसदी पर पहुंच जाएगा जबकि इससे पहले इसके लिए 6.4 फीसदी का अनुमान जताया गया था। सच्चाई यह है कि अन्य अनुमानों में बदलाव हो सकते हैं। 1 अप्रैल से शुरू होने जा रहे वित्त वर्ष 2023 में उर्वरक सब्सिडी के लिए बजट अनुमान 1.05 लाख करोड़ रुपये है। जिंस कीमतों में तेजी की वजह से यह रकम भी बढ़ सकता है। नीति निर्माता फिलहाल इसके लिए कोई नया आंकड़ा देना नहीं चाहते लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा कीमतों पर केंद्र को उर्वरक सब्सिडी में 40,000 करोड़ रुपये और देना पड़ सकता है।
यूरिया की दरों में जारी तेजी और कच्चे तेल तथा गैस की कीमतें चढऩे की वजह से फॉस्फेट और अमोनिया जैसी प्रमुख कच्ची सामग्रियों के भाव भी ऊपर जाने के आसार हैं। ऐसे में सब्सिडी की यह रकम अपर्याप्त नजर आती है। व्यापार सूत्रों का कहना है कि भारतीय गैस (पूल्ड गैस) की दरें मौजूदा 16 डॉलर प्रति मीट्रिक मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट (एमएमबीटीयू) से बढ़कर 18 डॉलर एमएमबीटीयू तक जा सकती है। मोटे अनुमान से पता चलता है कि पूल्ड गैस दरों में प्रति 1 डॉलर का इजाफा होने पर यूरिया के लिए सब्सिडी की रकम 4,000 रुपये से 5,000 रुपये तक का बढ़ जाती है। विश्लेषकों ने पीएमजीएवाई को आगे बढ़ाने के निर्णय का स्वागत किया है। उनका कहना है कि महामारी में गरीबों पर सबसे अधिक असर हुआ है, हालांकि, भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है। उनका यह भी कहना है कि वैश्विक कीमतों का घरेलू खाद्य कीमतों पर असर पड़ेगा।
