वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि भारत अपने सरकारी ऋण का बेहतर प्रबंधन कर रहा है ऐसे में राजकोषीय घाटे के अनियंत्रित होने का सवाल ही नहीं उठता है। सैन फ्रांसिस्को में भारतीय प्रवासियों से बातचीत करते हुए रविवार की सुबह सीतारमण ने कहा, ‘राजकोषीय घाटे के नियंत्रण से बाहर जाने का कोई सवाल ही नहीं है। जो लक्ष्य दिया गया है, उसका पूरी ईमानदारी से पालन किया जा रहा है। इस साल संशोधित अनुमानों (वित्त वर्ष 2025 के लिए) में हमने कहा कि हम जीडीपी के 4.8 फीसदी के स्तर को छू लेंगे। संशोधित अनुमानों में जो भी कहा गया है, उसे वास्तव में हासिल कर लिया जाएगा। वित्त वर्ष 2026 में हमें जीडीपी के 4.5 प्रतिशत से नीचे पहुंचना चाहिए।’
सीतारमण की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब पूर्वानुमान एजेंसियों ने वैश्विक अनिश्चितता को देखते हुए भारत के वित्त वर्ष 2026 के वृद्धि अनुमानों को कम कर दिया है। कुछ अर्थशास्त्रियों ने चालू वित्त वर्ष में सरकारी राजस्व में कमी का अनुमान लगाया है।
वित्त मंत्री ने कहा कि राजकोषीय अनुशासन के लिए केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता महज एक बयान भर नहीं है बल्कि यह सरकार के कर्ज प्रबंधन के रुझान से भी स्पष्ट होता है। उन्होंने कहा, ‘कोविड के तुरंत बाद, हमारी कर्ज की स्थिति ऐसी थी कि हम जीडीपी के 62 फीसदी से ऊपर के स्तर पर चले गए। लेकिन अब चार वर्षों के भीतर हम इसे घटाकर जीडीपी के 57.4 प्रतिशत के स्तर पर ले आए हैं। चार वर्षों के भीतर आप जीडीपी-ऋण अनुपात को स्वीकार्य स्तर पर लाने के लिए उठाए गए कदमों को साफतौर पर देख सकते हैं। पिछले वर्ष जुलाई के बजट में हमने यह स्पष्ट रूप से कहा था कि 2030 तक ऋण-जीडीपी अनुपात 50 प्रतिशत के करीब आ जाएगा जबकि विकसित देशों में जीडीपी के अनुपात में 100 प्रतिशत से अधिक ऋण है। हम अपने कर्ज का प्रबंधन इस तरह कर रहे हैं।’
सीतारमण ने कहा कि भारत, अमेरिका के साथ अपने द्विपक्षीय व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए बातचीत के अहम चरण में पहुंच चुका है और इस वर्ष सितंबर तक इस समझौते के पहले चरण पर हस्ताक्षर किए जा सकते हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि भारत उन देशों में से एक है जो अमेरिका में नई सरकार के साथ सक्रियता से बातचीत कर रहा है ताकि यह देखा जा सके कि हम द्विपक्षीय व्यापार समझौते को कैसे पूरा कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘समान रूप से हम यहां सरकार के साथ जुड़ने को प्राथमिकता दे रहे हैं और यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फरवरी में अमेरिका की यात्रा से भी जाहिर होता है। यहां वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री भी आए थे। मैं यहां आई हूं क्योंकि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की बैठक भी है। मेरा यहां वित्त मंत्री स्कॉट बेसैंट के साथ मिलने का कार्यक्रम भी तय है। जब मैं यहां आपसे बात कर रही हूं, ठीक उसी वक्त अमेरिका के उप राष्ट्रपति भारत में हैं। वे आज शाम या कल प्रधानमंत्री के साथ बातचीत करेंगे।’
भारत, भविष्य में वैश्विक नेतृत्व करने और इसका मौजूदा बजट किस तरह ऐसी महत्वकांक्षाओं का समर्थन करता है, इस सवाल पर सीतारमण ने सेमीकंडक्टर, मॉड्यूलर परमाणु ऊर्जा सहित अक्षय ऊर्जा, डिजिटल बुनियादी ढांचे और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में भारत की प्रगति पर जोर दिया।