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वित्त वर्ष 2024-25 में राजकोषीय घाटे में सुधार, सरकार ने आर्थिक स्थिरता की ओर बढ़ाया कदम

विशेषज्ञों ने कहा कि वित्त वर्ष 2025 के नॉमिनल जीडीपी के आंकड़े बढ़ने से वित्त वर्ष 2026 के लिए घाटा और डेट-टू-जीडीपी अनुपात के लक्ष्यों को पूरा करने में भी मदद मिलेगी।

Last Updated- May 30, 2025 | 10:18 PM IST
fiscal deficit
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

वित्त वर्ष 2024-25 में सरकार के राजकोषीय घाटे का प्रदर्शन मामूली सुधरा है। शुक्रवार को लेखा महानियंत्रक (सीजीए) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक संशोधित अनुमान के 4.84 प्रतिशत की तुलना में यह घटकर 4.77 प्रतिशत रह गया है।

वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 330.68 लाख करोड़ रुपये रुपये रहने का अनंतिम अनुमान लगाया गया है। यह 324.11 लाख करोड़ रुपये के संशोधित अनुमानों की तुलना में बेहतर है। इसकी वजह से जीडीपी के प्रतिशत के रूप में राजकोषीय घाटे में कमी आई है।

इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘सरकार का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2025 के संशोधित अनुमान से 77 अरब रुपये अधिक रहा है। हालांकि इसकी वजह पूंजीगत व्यय में बढ़ोतरी हुई और प्राप्तियां अपेक्षाकृत कम रहीं। इस कमी की भरपाई वित्त वर्ष में राजस्व व्यय में 0.9 लाख करोड़ रुपये की उल्लेखनीय बचत से हुई।’ सीजीए के आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त  वर्ष 2024-25 के लिए पूंजीगत व्यय 10.5 लाख करोड़ रुपये रहा है, जो वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान का 103.3 प्रतिशत है। वित्त वर्ष 2023-24 के संशोधित अनुमानों के 99.9 प्रतिशत की तुलना में पूंजीगत व्यय भी अधिक है।

वित्त वर्ष 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को 4.5 प्रतिशत पर समेटने के अपने संकल्प के अनुरूप सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 4.4 प्रतिशत निर्धारित किया था।

विशेषज्ञों ने कहा कि वित्त वर्ष 2025 के नॉमिनल जीडीपी के आंकड़े बढ़ने से वित्त वर्ष 2026 के लिए घाटा और डेट-टू-जीडीपी अनुपात के लक्ष्यों को पूरा करने में भी मदद मिलेगी।

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा घोषित 2.69 लाख करोड़ रुपये के भारी लाभांश से राजकोषीय स्थिति में सुधार होने और वित्त वर्ष 26 में राजकोषीय घाटे को और भी कम करने में मदद मिलने की उम्मीद है।

वित्त वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट में रिजर्व बैंक और सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों से 2.56 लाख करोड़ रुपये की लाभांश आय का अनुमान लगाया गया है।

ईवाई इंडिया में चीफ पॉलिसी एडवाइजर डीके श्रीवास्तव ने कहा, ‘भारत की मध्यम अवधि की वृद्धि संबंधी मजबूत राजकोषीय प्रबंधन के साथ दुरुस्त दिख रही हैं। नीतिगत हिसाब से  देखें तो सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय पर जोर दिए जाने से विकास की कहानी बन रही है। इसमें निजी अंतिम उपभोग व्यय में वृद्धि भी सहायक बन रही है।’

सीजीए के आंकड़ों के मुताबिक शुद्ध कर राजस्व कम होकर 24.99 लाख करोड़ रुपये रहा है, जो संशोधित अनुमान का 97.7 प्रतिशत है। गैर कर राजस्व बढ़कर 5.8 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो संशोधित अनुमान का 101.2 प्रतिशत है।

वित्त  वर्ष 2025 में पूंजीगत व्यय सालाना आधार पर 61 प्रतिशत बढ़कर अप्रैल 2025 में 1.6 लाख करोड़ रुपये हो गया है। यह संशोधित अनुमान से 14.3 प्रतिशत और पिछले साल की समान अवधि से 8.9 प्रतिशत ज्यादा है। गैर ऋण पूंजीगत प्राप्तियां संशोधित अनुमान का 29.6 प्रतिशत रही हैं, जो पिछले साल की समान अवधि के दौरान 1.3 प्रतिशत थीं।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष2026 की अपनी बजट घोषणा में कहा था कि राजकोषीय घाटे को लक्षित करने की वर्तमान प्रथा से हटकर ऋण-जीडीपी अनुपात को राजकोषीय आधार बनाते हुए एक नया मार्ग अपनाया जाएगा। सरकार ने वित्त वर्ष 2031 तक ऋण जीडीपी अनुपात घटाकर जीडीपी का 50 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है, जिसमें एक प्रतिशत ऊपर या नीचे हो सकता है।

First Published - May 30, 2025 | 10:18 PM IST

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