भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था कोविड-19 के कारण पैदा हुए संकट से बाहर आ गई है और मजबूती से आगे बढ़ रही है। आरबीआई ने आज जारी जनवरी के अपने बुलेटिन में कहा, ‘कोविड-19 से बचाव के लिए टीकाकरण शुरू होने के बाद नई उम्मीद और उत्साह का संचार हुआ है। अगर महामारी दोबारा नहीं लौटी तो समझ लीजिए कि बुरा दौर बीत चुका है।’
केंद्रीय बैंक ने कहा, ‘वृहद आर्थिक स्थिति में हाल में आया सुधार बेहतर भविष्य का संकेत दे रहा है। देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) गर्त से निकल कर सकारात्मक वृद्घि दर्ज करने के करीब पहुंच गया है और महंगाई भी सहज स्तर के नजदीक आ रही है। इसी तरह तेजी जारी रही तो नीतिगत स्तर पर सुधारों को और गति देने के लिए उपाय करने की गुंजाइश बन जाएगी।’
दूसरे देशों के मुकाबले भारत तेजी से प्रगति कर रहा है और देश के बड़े राज्यों में आर्थिक गतिविधियां लगभग सामान्य हो गई हैं।
आरबीआई के बुलेटिन में कहा गया, ‘ई-वे बिल जारी होने में तेजी आई है, जो देश में व्यावसायिक गतिविधियां जोर पकडऩे का स्पष्ट संकेत है। इससे यह भी साफ है कि देश की अर्थव्यवस्था में तेजी केवल त्योहारों के दौरान होने वाले खर्च के कारण नहीं आई थी। राज्य के भीतर वाणिज्यिक गतिविधियों में साल भर पहले के मुकाबले 15.9 प्रतिशत और राज्यों के बीच गतिविधियों में 13.8 प्रतिशत तेजी आई है।’
आरबीआई ने कहा कि दिसंबर 2020 में सबसे अधिक ई-वे बिल जारी हुए हैं। इससे स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि अर्थव्यवस्था में सुधार अस्थायी नहीं है और आंतरिक मजबूती के दम पर आर्थिक गतिविधियां पूरे दमखम के साथ पटरी पर लौट रही हैं।’
केंद्रीय बैंक ने कहा कि घरेलू व्यय तेजी से सामान्य हो रहा है और दिसंबर में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह अब तक के सर्वाधिक स्तर 1.15 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो दिसंबर, 2019 के मुकाबले 11.6 प्रतिशत अधिक रहा।
आरबीआई ने कहा, ‘कारोबारी गतिविधियां तेज हुईं और उपभोक्ताओं में विश्वास भी तेजी से लौट रहा है।’
उसने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में रोजगार की स्थिति और सुधरेगी। केंद्रीय बैंक ने कहा कि कोविड-19 महामारी से तबाह अर्थव्यवस्था में सरकार ने व्यय बढ़ाकर नई जान फूंकने की कोशिश की है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का चालू खाता लगातार तीसरी तिमाही में अधिशेष में रहा है, लेकिन इसका स्तर कम हो रहा है। रिपोर्ट के अनुसार दूसरी तिमाही में अधिशेष में कमी आई है और वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी छमाही में इसमें और कमी आ सकती है।
अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में जीडीपी वृद्धि दर को खपत में तेजी आने से मजबूती मिलेगी। रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनिया में टीका उत्पादन का एक प्रमुख केंद्र है और आने वाले समय में दुनिया में टीकाकरण अभियान तेज होने से देश से दवाओं आदि का निर्यात बढऩे की उम्मीद है। आरबीआई ने कहा कि कृषि निर्यात के आंकड़े भी मजबूत रहेंगे।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अर्थव्यवस्था में हाल में दिखी तेजी बरकरार रखने के लिए निवेश तत्काल बढ़ाने की जरूरत है।’
आरबीआई ने कहा कि बैंकों एवं अन्य इकाइयों के पास जमा और रिवर्स रीपो के जरिये पड़ी रकम को कर्ज के रूप में उत्पादक क्षेत्रों तक पहुंचाना या निवेश गतिविधियों पर खर्च करना जरूरी है। आरबीआई ने यह भी कहा कि आने वाले समय में वित्तीय क्षेत्र के बहीखातों पर फंसे ऋणों का बोझ बढ़ सकता है, लेकिन इस बार बैंकों की हालत पिछले वैश्विक संकट के मुकाबले अधिक मजबूत है।