बुनियादी ढांचा, हाउसिंग और छोटे एवं मझोले उद्योग (एसएमई) क्षेत्र पर इनायत करते हुए सरकार इन्हें मामूली दरों पर 75,000 करोड़ रुपये देने की योजना बना रही है।
इस राशि के जरिये मंदी की मार झेल रहे इन क्षेत्रों को राहत तो मिलेगी हीं, साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी और निवेश के रास्ते खुलेंगे। यह राशि पुनर्वित्तीय विंडो के जरिये मुहैया कराई जाएगी।
एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक भारतीय बुनियादी वित्त कंपनी लिमिटेड (आईआईएफसीएल), राष्ट्रीय हाउसिंग बैंक (एनएचबी) और भारतीय छोटे और मझोले उद्योग विकास बैंक (सिडबी) अपने विंडो के जरिये फिर से इन क्षेत्रों को वित्त मुहैया कराएंगे।
कर्ज देने वाली यह संस्था 7 से 9 फीसदी की मामूली ब्याज दरों पर इन क्षेत्रों को वित्त उपलब्ध कराएगी। हालांकि इस तरह के कर्ज पर 10 से 11 फीसदी ब्याज चुकाना होता है। एक दूसरे अधिकारी ने कहा, ‘भारतीय रिजर्व बैंक को आईआईएफसीएल की लंदन से पंजीकृत सहयोगी कंपनी द्वारा जारी किए गए बॉन्ड को खरीदने के लिए 50,000 करोड़ रुपये की मदद देनी चाहिए। अगर इतनी राशि बुनियादी ढांचा के विकास के लिए दे दी जाती है, तो यह क्षेत्र वैश्विक संकट का असर झेल पाने में सक्षम हो जाएगा। ‘
मौजूदा ऋण शर्तों के तहत पूरी छूट की बात की जा रही थी, लेकिन योजना आयोग ने यह सुझाव दिया कि आईआईएफसीएल को पूरी परियोजना की 75 फीसदी रकम बतौर ऋण मुहैया कराना चाहिए। उन्होंने कहा कि आईआईएफसीएल को 50,000 करोड़ रुपये 9 फीसदी की ब्याज दर पर देने चाहिए, ताकि बैंक 11-12 फीसदी की दर पर कर्ज आसानी से दे सकें। हालांकि यह कदम दो साल तक के लिए उठाए जाने चाहिए।
बुनियादी विकास के तहत 60,000 करोड़ रुपये की 6000 किलोमीटर की सड़क परियोजना बोली के अंतिम चरण में है। अधिकारी ने कहा कि इन हालात को देखते हुए सरकार को बोली की तारीख बढ़ा दी जानी चाहिए। बोली के लिए नवंबर-दिसंबर 2008 का समय निर्धारित किया गया है।
इसी तरह एनएचबी को बैंक और वित्तीय कंपनियों द्वारा दिए गए होम लोन की राशि पर फिर से 7 फीसदी की दर से उन्हें वित्त मुहैया कराना चाहिए। होम लोन विंडो 10,000-15000 करोड़ रुपये के बीच होनी चाहिए। इससे फंड की लागत और ब्याज दरों को कम करने में मदद मिलेगी।
सूत्र ने बताया कि यह क दम नए कर्ज लेने वाले के लिए लागू होना चाहिए न कि मौजूदा कर्ज के लिए। सिडबी के जरिये सरकार एसएमई को फिर से वित्त उपलब्ध कराने के लिए 10,000 करोड़ रुपये की सहायता देने पर विचार कर रही है।
अधिकारी ने कहा, ‘अपवाद की स्थिति में हमें इस तरह की व्यवस्था के लिए तैयार हो जाना चाहिए। यह बात महत्वपूर्ण है कि अगर इस लेन-देन में घाटा होता है, तो रुपये के मामले में हुए फायदे से उसकी भरपाई की जा सकती है।’
सरकार देगी 75 हजार करोड़ रुपये
बुनियादी ढांचा, हाउसिंग और छोटे एवं मझोले उद्योग (एसएमई) क्षेत्र पर नजर-ए-इनायत
7 से 9 फीसदी की मामूली ब्याज दरों पर मिलेगा कर्ज