जो लोग मकान खरीदना चाह रहे हैं, पर ऊंची ब्याज दरों के चलते ऐसा नहीं कर पा रहे हैं, उन्हें जल्द ही सरकार एक तोहफा दे सकती है।
सरकार 20 लाख रुपये तक के मकान ऋण 7 से 8 फीसदी ब्याज दर पर उपलब्ध करा सकती है। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के सत्ता में आने से पहले यानी 2004 के पूर्व मकान के लिए ऋण इतने सस्ते हुआ करते थे।
फिलहाल अधिकांश सरकारी बैंक मकानों के लिए 20 लाख रुपये तक का ऋण 9.5 से 10.5 फीसदी ब्याज दर पर उपलबध करा रहे हैं। अब सरकार ब्याज दरों में इस 2 से 3 फीसदी अंतर का बोझ खुद उठाने पर विचार कर रही है।
अधिकारियों का कहना है कि सरकार पर इस कदम से बहुत अधिक बोझ नहीं पड़ेगा क्योंकि सस्ते ऋण से बैंकों को जो नुकसान होगा उसकी भरपाई सरकार रिजर्व बैंक के जरिये कर सकती है।
सूत्रों के मुताबिक, ‘2004 के पहले मकानों के लिए ऋण जिस दर पर मिलता था, उसी दर पर अब लोगों को ऋण उपलब्ध कराने के लिये हम विभिन्न विकल्पों पर नजर दौड़ा रहे हैं। इन विकल्पों में ब्याज का कुछ बोझ उठाना और बैंकों को सस्ती दरों पर तरलता उपलब्ध कराना शामिल है।’
रविवार को सरकार ने वित्तीय पैकेज की घोषणा करते हुए बताया था कि सरकारी बैंक मकानों के लिए ऋण सस्ते करने की घोषणा कर सकते हैं।
इसमें 5 लाख रुपये तक के ऋण और 5 से 20 लाख रुपये तक के ऋणों के लिए अलग अलग पैकेज की घोषणा करने की बात कही गई थी।
सूत्रों ने बताया कि 5 लाख रुपये तक के ऋण 7 फीसदी ब्याज पर दिये जाने की संभावना है जबकि, 5 से 20 लाख रुपये तक के ऋण 8 फीसदी ब्याज पर मिल सकते हैं।
चूंकि ब्याज का कुछ बोझ सरकार खुद उठाएगी इसलिए बैंकों के लिए वास्तविक ब्याज दर 10 फीसदी के करीब ही रहने की संभावना है।
अधिकारियों ने बताया कि आरबीआई ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट को घटाकर क्रमश: 6.5 और 5 फीसदी कर दिया है और इससे ऋण सस्ता होने की उम्मीद है।
आरबीआई से ब्याज दरों को घटाने का संकेत मिलने के बाद से ही बैंकों ने ब्याज दरों को 11-12 फीसदी से घटाकर 9.5-10 फीसदी कर दिया है।
आरबीआई ने हाल ही में ब्याज दरें घटाई हैं और इसके बाद बैंकों की जमा दरें और घट सकती हैं। बैंकों की फंड जुटाने की लागत फिलाहल 6 फीसदी के करीब है।
सरकारी बैंकों ने भी बताया कि उन्हें ऐसे संकेत मिले हैं कि 20 लाख रुपये तक के मकान ऋण और सस्ते हो सकते हैं। एक सरकारी बैंक के प्रमुख ने कहा, ‘ऐसे ऋणों को 10 फीसदी से ऊपर नहीं बढ़ने दिया जाएगा।’