नीति आयोग की गरीबी को लेकर हाल की बहुपक्षीय रिपोर्ट के मुताबिक 2014-15 की तुलना में 2019-20 के दौरान रसोई ईंधन, स्वच्छता और बिजली तक भारतीयों की पहुंच बढ़ी है।
इसके बावजूद हाल में आई आयोग के बहुपक्षीय गरीबी सूचकांक (एमपीआई) के मुताबिक 2019-20 के दौरान 40 प्रतिशत से ज्यादा आबादी खाना पकाने के लिए गोबर, कृषि फसलों के अवशेष, झाड़ी, लकड़ी, चारकोल या कोयला पर निर्भर है।
साथ ही रिपोर्ट में आए आंकड़ों के मुताबिक 2019-20 के दौरान करीब 30 प्रतिशत आबादी के पास घर में शौचालय की उचित सुविधा नहीं पाई गई।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (एनएफएचएस) की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2015-16 में आधे से ज्यादा आबादी के पास रसोई ईंधन और स्वच्छता जैसी सेवाएं नहीं थीं। आंकड़ों के मुताबिक रसोई ईंधन से 58.5 प्रतिशत आबादी और स्वस्थता के हिसाब से 52 प्रतिशत आबादी उस वित्त वर्ष में वंचित थी।
बहरहाल एनएफएचएस ने हाल में 2019-20 के बारे में एक फैक्टशीट पेश किया है। उसके आधार पर एमपीआई रिपोर्ट में कहा गया है कि रसोई ईंधन से वंचित लोगों की संख्या 2019-20 में घटकर 41.4 प्रतिशत रह गई है। स्वच्छता से वंचित आबादी की संख्या 2019-20 में 29.8 प्रतिशत रह गई है।
स्वच्छता के मानक पर परिवार वंचित माना जाता है, अगर उसके पास सुधरी शौचालय व्यवस्था नहीं है, या उसके पास सुधरी व्यवस्था है, लेकिन अन्य परिवारों के साथ इसे साझा करता है।
इसके अलावा जिन परिवारों में बिजली की सुविधा नहीं है, उनकी संख्या 2015-16 में 12.2 प्रतिशत थी, जो 2019-20 में घटकर 3.2 प्रतिशत रह गई है।
बहरहाल 2019-20 के आंकड़े शुरुआती हैं। एनएफएचएस की अंतिम रिपोर्ट आने के बाद आयोग 2019-20 की अपनी रिपोर्ट पेश करेगा। आयोग के वाइस चेयरपर्सन राजीव कुमार ने कहा कि शुरुआती रिपोर्ट एनएफएचएस-5 जारी होने के बाद अद्यतन की जाएगी। आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि रिपोर्ट में क्रमिक सुधार के बाद विभिन्न मानकों पर देश की स्थिति में सुधार के बारे में पता चल सकेगा।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एनएफएचएस को आंकड़े पेश करने में 5-6 महीने लग सकते हैं।
इन 3 मानकों के अलावा 9 मानक थे, जिनके आधार पर वंचन दर की गणना की गई है, जिसमें पोषण, बाल एवं किशोर मृत्यु, प्रसव पूर्व देखभाल, स्कूल जाने का वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, पेयजल, आवास, संपत्ति एवं बैंक खाता शामिल है। इन मोर्चों पर वंचित रहने के शुरुआती आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।
