facebookmetapixel
50% अमेरिकी टैरिफ के बाद भारतीय निर्यात संगठनों की RBI से मांग: हमें राहत और बैंकिंग समर्थन की जरूरतआंध्र प्रदेश सरकार ने नेपाल से 144 तेलुगु नागरिकों को विशेष विमान से सुरक्षित भारत लायाभारत ने मॉरीशस को 68 करोड़ डॉलर का पैकेज दिया, हिंद महासागर में रणनीतिक पकड़ मजबूत करने की कोशिशविकसित भारत 2047 के लिए सरकारी बैंक बनाएंगे वैश्विक रणनीति, मंथन सम्मेलन में होगी चर्चाE20 पेट्रोल विवाद पर बोले नितिन गडकरी, पेट्रोलियम लॉबी चला रही है राजनीतिक मुहिमभारत को 2070 तक नेट जीरो हासिल करने के लिए 10 लाख करोड़ डॉलर के निवेश की जरूरत: भूपेंद्र यादवGoogle लाएगा नया फीचर: ग्रामीण और शहरी दर्शकों को दिखेगा अलग-अलग विज्ञापन, ब्रांडों को मिलेगा फायदाअब ALMM योजना के तहत स्वदेशी सोलर सेल, इनगोट और पॉलिसिलिकन पर सरकार का जोर: जोशीRupee vs Dollar: रुपया 88.44 के नए निचले स्तर पर लुढ़का, एशिया की सबसे कमजोर करेंसी बनीब्याज मार्जिन पर दबाव के चलते FY26 में भारतीय बैंकों का डिविडेंड भुगतान 4.2% घटने का अनुमान: S&P

GST दरों में कटौती पर उलझन, बिना बिके स्टॉक की कीमतें घटाने पर कंपनियों की चिंता

वित्त मंत्रालय और उपभोक्ता मामलों का विभाग 9 सितंबर के परिपत्र की करेंगे समीक्षा

Last Updated- September 11, 2025 | 10:52 PM IST
FMCG

उपभोक्ता मामलों के विभाग के 9 सितंबर को जारी परिपत्र में विनिर्माताओं और आयातकों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दरों में कटौती के 22 सितंबर से लागू होने के बाद बिना बिके सामान पर अधिकतम खुदरा मूल्य को संशोधित करने की अनुमति दी गई है। इस मामले में उद्योग जगत की प्रस्तुतियों के बाद मंत्रालय द्वारा इसकी समीक्षा की जा रही है। इस मामले से जुड़े लोगों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को यह जानकारी दी।

परिपत्र में कंपनियों को जीएसटी दर में कटौती या बढ़ोतरी की सीमा तक कीमतें घटाने-बढ़ाने का आदेश दिया गया था। हालांकि कंपनियों को जीएसटी में पूरी कटौती के आधार पर कीमतें घटाने में कठिनाई हो सकती है क्योंकि उन्होंने अपने पास पड़े मौजूदा स्टॉक पर उच्च इनपुट टैक्स का भुगतान किया है और उसके लिए उन्हें कोई रिफंड नहीं मिलेगा।

एक सरकारी अधिकारी के अनुसार वित्त मंत्रालय और उपभोक्ता मामलों के विभाग को 9 सितंबर के परिपत्र के बारे में उद्योग से जानकारी मिली है और वे इस पर विचार कर रहे हैं कि वितरकों और डीलरों के संचित इनपुट टैक्स क्रेडिट के मुद्दे का किस तरह से समाधान किया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार सरकार 31 दिसंबर तक संशोधित कीमतों में इस लागत को समायोजित करने पर विचार कर सकती है।

इसके अलावा सरकार यह भी स्पष्टीकरण जारी कर सकती है कि परिपत्र उन उत्पादों पर कैसे लागू होगा जो छोटे पाउच में बेचे जाते हैं, जैसे कि 1 रुपये और 5 रुपये की कीमत वाले शैंपू, सॉस आदि। इसके अलावा ऐसे मामलों में जहां कुछ वस्तुएं पहले से ही छूट पर बेची जा रही हैं और जहां प्रभावी मूल्य दर कटौती के बाद के स्तर से भी कम है, मूल्य संशोधन मुश्किल है।

इस बारे में जानकारी के लिए वित्त मंत्रालय को ईमेल भेजा गया मगर खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं आया।

टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी सर्विसेज में पार्टनर विवेक जालान ने कहा, ‘कीमतों को जीएसटी दर में कटौती की सीमा तक घटाने की आवश्यकता से कंपनियों पर दोहरी मार की ​स्थिति बन सकती है क्योंकि दर में कटौती से बिना बिके स्टॉक पर संचित आईटीसी का लाभ और व्युत्क्रम शुल्क रिफंड भी उपलब्ध नहीं होगा।’

जालान ने कहा कि संचित आईटीसी प्रभाव को ध्यान में रखते हुए सामान की कीमत को कम करने में कुछ लचीलापन और कम से कम इसे लागू करने की शुरुआती अवधि के दौरान कंपनियों को कुछ हद तक राहत मिलने की उम्मीद है।

अधिकारियों ने कहा कि वित्त मंत्रालय जीएसटी दरों में कटौती के बाद व्युत्क्रम शुल्क ढांचे से होने वाले संभावित नुकसान को ध्यान में रखते हुए कंपनियों के लिए कुछ विकल्पों पर भी विचार कर रहा है।

5 फीसदी और 18 फीसदी की दो स्तरीय जीएसटी स्लैब ने कई वस्तुओं में उलट शुल्क ढांचे की समस्या को काफी हद तक दूर किया है। हालांकि संबंधित कच्चे माल को कम स्लैब दर में लाए बिना वस्तुओं को 12 फीसदी स्लैब से 5 फीसदी में करने से कुछ क्षेत्रों में नया उलट शुल्क ढांचे की समस्या पैदा हुई है।

First Published - September 11, 2025 | 10:42 PM IST

संबंधित पोस्ट