केंद्रीय संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सुरजीत दास गुप्ता से बातचीत के दौरान कहा कि विश्व की दिग्गज आईटी हार्डवेयर कंपनियां चीन से अन्यत्र जा रही हैं और आईटी हार्डवेयर से जुड़ी नई प्रोत्साहन योजना के माध्यम से इन कंपनियों की भारत में लैपटॉप, पीसी और टैबलेट की असेम्बल इकाइयां स्थापित करवानी हैं। मंत्री ने कहा कि मानदंडों का पालन करने वाली चीन की कंपनियां भी भारत में संयंत्र स्थापित कर सकेंगी। पेश हैं संपादित अंश :
क्या आपको लगता है कि आईटी हार्टवेयर की नई PLI योजना विश्व की दिग्गज कंपनियां को भारत में असेम्बली इकाइयां स्थापित करने के लिए आकर्षित करेगी ?
मैं जब अमेरिका में था, तब मैंने एचपी और डेल के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की थी। ये कंपनियां भारत में आने के लिए उत्सुक हैं। एसीईआर और एएसयूएस ने भी रुचि दिखाई है। भारत में मैन्युफैक्चिरिंग पर्याप्त परिपक्व हो चुकी है और हमारे यहां ठेके पर निर्माण करने वाले तंत्र को विकसित कर रही है। मैं देख रहा हूं कि हम महीने घरेलू इलेक्ट्रानिक्स मैन्युफैक्चरिंग सर्विसेज (ईएमएस) की कंपनियां अस्तित्व में आ रही हैं। लिहाजा डिक्सन, सनमीना, वीवीडीएन और कई अन्य हैं। हमारा ध्येय यह है कि मोबाइल डिवाइस मॉडल को फिर से दोहराया जाए और वैश्विक कंपनियां चीन की जगह भारत में अपनी क्षमताएं स्थानांतरित करें। पुरानी योजना के मुकाबले नई PLI खासतौर पर अलग होगी।
क्या आप चीनी कंपनियों जैसे लेनोवो को भारत में असेम्बली की अनुमति देंगे?
वे जब तक भारत में कारोबार संचालन के लिए भारत की ईएमएस के साथ गठजोड़ करती हैं, हमें कोई समस्या नहीं है। उन्हें इस योजना के तहत निर्धारित मूल्य वर्धन करना है।
क्या इस PLI का ध्येय निर्यात को बढ़ावा देना है?
हां, हमें 1990 के दशक की सोच से परे सोचना होगा। दरअसल 1990 के दशक की योजना का ध्येय आयात का विकल्प तैयार करना था। हमारा ध्येय निर्यात आधारित विकास पर ध्यान केंद्रित करना है। इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग बीते छह वर्षों में सालाना 17 फीसदी की दर से बढ़ा है।
क्या आप आईटी हार्डवेयर क्षेत्रों के खास क्षेत्रों पर ध्यान दे रहे हैं?
हां, ज्यादातर ध्यान लैपटॉप, पीसी, टैबलेट, एच कंप्यूटर और अन्य पर है।
क्या PLI मूल्यवर्धन में मदद देगी?
हां, PLI योजना को इस तरह से बनाया गया है कि अतिरिक्त प्रोत्साहन को स्थानीयकरण से जुड़ा होगा।
दूरसंचार की प्रोत्साहन आधारित योजनाओं के बारे में कई आशंकाए हैं?
हमने पहले वर्ष में इस योजना के तहत 900 करोड़ रुपये का निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई थी। लेकिन वास्तविक निवेश 1600 करोड़ रुपये से अधिक हुआ। एक कंपनी अमेरिका, जर्मनी और फ्रांस को एडवांस रेडियो के यंत्रों का निर्यात कर रही है।