भारत के निर्यातकों के शीर्ष संगठन फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट्स ऑर्गेनाइजेशन (फियो) ने गुरुवार को कहा है कि 2023-24 में भारत के वस्तु निर्यात में 3 प्रतिशत गिरावट के बाद चालू वित्त वर्ष में निर्यात 14 से 17 प्रतिशत बढ़कर 500 से 510 अरब डॉलर के बीच हो सकता है।
फियो के अध्यक्ष अश्विनी कुमार ने संवाददाताओं से कहा कि भारत से सेवाओं का निर्यात 390 से 400 अरब डॉलर का हो सकता है, जिससे भारत का कुल निर्यात 890 से 910 अरब डॉलर के बीच पहुंच सकता है। उन्होंने कहा कि कारोबारी सेवाओं जैसे इंजीनियरिंग, विज्ञापन सेवाएं व अन्य क्षेत्रों की वजह से ऐसी उम्मीद है। वैश्विक क्षमता केंद्र और उसके कारोबार के विस्तार से निर्यात को और बल मिलेगा। 2023-24 में भारत का कुल निर्यात 778 अरब डॉलर था।
भारत के परंपरागत निर्यात बाजार जैसे अमेरिका और यूरोप इस वृद्धि में अग्रणी भूमिका निभाएंगे। तकनीक से संचालित क्षेत्रों जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी, उच्च व मध्यम तकनीक, फार्मास्यूटिकल्स, मेडिकल और डायग्नोस्टिक उपकरण के क्षेत्रों में तेजी की संभावना है।
फियो के उपाध्यक्ष इसरार अहमद ने कहा, ‘पीएलआई (उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना) के तहत बढ़े उत्पादन का हमें लाभ मिलेगा, जिनके निर्यात की राह बनेगी। श्रम आधारित क्षेत्रों जैसे कपड़ा, फुटवीयर व रत्न एवं आभूषण क्षेत्रों में 2023-24 में दो अंकों की गिरावट आई थी, जिनका प्रदर्शन बेहतर रहने की संभावना है।’
निर्यातकों के शीर्ष संगठन ने आगे कहा कि महंगाई बढ़ने, किराया बढ़ने, जिंसों की कीमत बढ़ने और समुद्री व हवाई मार्ग से ढुलाई में अप्रत्याशित वृद्धि के साथ ऋण की मांग बढ़ी है। केप ऑफ गुड होप के रास्ते मालवाहक जहाज भेजे जाने से ढुलाई का वक्त अधिक हो गया है और निर्यात की कार्यवाही में भी अधिक वक्त लग रहा है। इसकी वजह से कर्ज महंगा हो गया है।