वाणिज्य विभाग ने चीन और हॉन्गकॉन्ग के कुछ प्रिंटेड सर्किट बोर्ड (पीसीबी) के आयात और इसकी डंपिंग के आरोपों की जांच शुरू कर दी है। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के अधीन आने वाले डायरेक्टरेट जनरल आफ ट्रेड रेमेडीज (डीजीटीआर) ने मंगलवार की एक अधिसूचना में कहा कि इंडियन प्रिंटेड सर्किट एसोसिएशन (आईपीसीए) ने आरोप लगाया था कि इन इलेक्ट्रॉनिक सामानों की डंपिंग से घरेलू पीसीबी उद्योग को नुकसान हो रहा है। एसोसिएशन ने इन दोनों देशों से हो रहे आयात पर डंपिंग रोधी शुल्क लगाने की मांग की थी।
डीजीटीआर ने कहा, ‘आवेदक एसोसिएशन (आईपीसीए) ने दावा किया है कि घरेलू उद्योग द्वारा उत्पादित सामान (पीसीबी) और इन देशों से आयातित सामान में कोई ज्ञात अंतर नहीं है। अथॉरिटी ने पाया कि दोनों उत्पाद तकनीकी व वाणिज्यिक रूप से एक दूसरे के विकल्प की तरह हैं। उपभोक्ता दोनों उत्पादों को अदल बदलकर इस्तेमाल कर रहे हैं।’ डीजीटीआर ने कहा है कि ऐसे में मौजूदा जांच का मकसद यह देखना है कि क्या घरेलू उद्योग द्वारा उत्पादित सामान इन देशों से आयात किए गए सामान के रूप में देखा जा रहा है।
पीसीबी या मदर बोर्ड का इस्तेमाल मुख्य रूप से सर्किट के इलेक्ट्रिकल कंपोनेंट को मशीनी समर्थन देने और बिजली का कनेक्शन देने के लिए किया जाता है। पॉपुलेटेड या स्टफ्ड पीसीबी का इस्तेमाल सभी तरह के इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में होता है, चाहे वह साधारण ट्रांजिस्टर एंप्लीफायर हो या बड़ा सुपरकंप्यूटर हो। पीसीबी का विनिर्माण और इसकी बिक्री सिंगल-साइड, डबल-साइड या मल्टिपल लेयर्स में होती है। मौजूदा जांच का दायरा 6 लेयर पीसीबी तक सीमित है।
6 लेयर से ज्यादा के पीसीबी का सामान्यतया मोबाइल फोन में इस्तेमाल होता है, इनको जांच के दायरे से बाहर रखा गया है। भारत ने अप्रैल-अक्टूबर के दौरान चीन और हॉन्गकॉन्ग से 47.8 करोड़ डॉलर के पीसीबी का आयात हुआ है, जो कुल पीसीबी का 55 प्रतिशत है। आईपीसीए ने कहा है कि भारत में पीसीबी के 200 से ज्यादा विनिर्माता हैं जिनमें से ज्यादातर सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम हैं और देश के विभिन्न इलाकों में स्थित हैं।