त्योहारी मौसम के बाद एक बार फिर अर्थव्यवस्था को अपनी गति बनाए रखने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है और विभिन्न आर्थिक गतिविधि संकेतक अपनी तेजी खोते दिख रहे हैं।
बिजनेस स्टैंडर्ड अर्थव्यवस्था के प्रमुख संकेतकों पर नजर रख रहा है, जिसमें भारतीय रेलवे द्वारा ले जाने वाले माल-भाड़े, प्रमुख शहरों में यातायात की भीड़, प्रदूषण का स्तर और गूगल की मदद से परिवहन करने वालों का आंकड़ा आदि शामिल हैं। वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण पर नजर रखे के लिए इन्हीं कारकों का विश्लेषण किया जाता है, जो अक्सर कुछ अंतराल पर जारी किए जाते हैं। साप्ताहिक संकेतक कोविड-19 महामारी को नियंत्रित करने के लिए जमीनी स्तर पर बदलती स्थिति को प्रदर्शित करते हैं। इनमें से कई संकेतक पिछले सप्ताह के मुकाबले कम पर देखे जा सकते हैं।
पिछले साल के समान सप्ताह की तुलना में इस सप्ताह बिजली उत्पादन कम रहा। सितंबर माह के बाद से यह पहली बार है कि बिजली उत्पादन वर्ष 2019 के स्तर से नीचे गया है। सात-दिवसीय रोलिंग औसत बिजली उत्पादन संख्या पिछले साल के 22 नवंबर के स्तर की तुलना में लगभग तीन प्रतिशत कम है। भारतीय रेलवे के आंकड़े बताते हैं कि साल 2019 के मुकाबले पिछले सप्ताह कम वृद्धि देखी गई। शनिवार 21 नवंबर को समाप्त होने वाले सात दिनों के लिए मालभाड़े की मात्रा में पांच प्रतिशत की वृद्धि हुई। पिछले सप्ताहांत में यह 10 प्रतिशत से अधिक था। 2019 के मुकाबले माल की आय में वृद्धि 4.4 प्रतिशत से गिरकर 0.3 प्रतिशत रह गई।
वैश्विक प्रौद्योगिकी फर्म टॉमटॉम इंटरनेशनल के ट्रैफिक आंकड़ों में लगातार दूसरे सप्ताह गिरावट देखी गई। रविवार को समाप्त सप्ताह के लिए मुंबई में यह वर्ष 2019 के मुकाबले 40 प्रतिशत नीचे था। समान अवधि में नई दिल्ली में इसमें 39 प्रतिशत की गिरावट देखी गई।
बिजनेस स्टैंडर्ड नाइट्रोजन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को भी ट्रैक करता है। यह औद्योगिक गतिविधियों तथा वाहनों से उत्सर्जित होती है। रविवार को समाप्त सप्ताह में दिल्ली का नाइट्रोजन डाइऑक्साइड उत्सर्जन वर्ष 2019 के मुकाबले कम था। इससे पिछले सप्ताह में यह वर्ष 2019 के स्तर से लगभग एक चौथाई अधिक रहा था। बांद्रा इलाके के आंकड़े बताते हैं कि मुंबई में उत्सर्जन लगातार कम बना हुआ है।
सर्च इंजन गूगल का डेटा भी एक अंतराल के साथ जारी किया गया है। इसका नवीनतम आंकड़ा 17 नवंबर को जारी किया गया। यह दिवाली से पहले की अवधि की तुलना में विभिन्न स्थलों की यात्राओं में गिरावट को दर्शाता है। कार्यस्थल जाने वालों की संख्या में भी गिरावट दिखाई गई है। दीपावली से पहले ट्रॉजिट स्टेशनों की यात्रा काफी थी। इस दौरान ये आंकड़े लॉकडाउन से पहले के स्तर तक बढ़ गए थे लेकिन दीपावली के बाद दोबारा गिरावट आ गई।
