केंद्र सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2024 के लिए उधारी की योजना में बढ़ोतरी किए जाने की संभावना नहीं है। साथ ही उम्मीद है कि बॉन्ड प्रतिफल 7 प्रतिशत से नीचे बना रहेगा। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बॉन्ड बाजार पर दबाव भी खत्म हो जाने की संभावना है क्योंकि रेलवे और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को बाजार से उधारी न लेने को कहा गया है।
सरकार ने अपने राजकोषीय घाटे की भरपाई के लिए वित्त वर्ष 2023-24 में बाजार से 15.43 लाख करोड़ रुपये उधारी लेने की योजना बनाई है। अगर प्रतिफल नियंत्रण में बना रहता है तो सरकार की ब्याज की देनदारी भी कम होगी। इससे सरकार के कर्ज पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी।
अधिकारी ने कहा, ‘अब तक हमारे आंकड़े बेहतर लग रहे हैं। कर प्रभावित नहीं हुआ है और व्यय भी उसके मुताबिक चल रहा है।’ वित्त मंत्रालय ने सोमवार को 16 राज्यों को 56,415 करोड़ रुपये दिए जाने को मंजूरी दी है, जिससे उनके पूंजीगत निवेश में तेजी आ सके। यह धनराशि 2023-24 में पूंजीगत निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता योजना के तहत दी जा रही है।
राज्यों को पूंजीगत व्यय में तेजी लाने में सक्षम बनाने, उनके विकास के धन देने, कल्याणकारी योजनाओं पर व्यय और उन्हें प्राथमिकता वाली परियोजनाएं व योजना के लिए धन मुहैया कराने के मकसद से वित्त मंत्रालय ने राज्यों को दी जाने वाली मासिक कर विभाजन की राशि भी बढ़ाकर दोगुनी करते हुए 1,18,280 करोड़ रुपये कर दी है।
इस सभी कोष से राज्यों को केंद्र प्रायोजित योजनाओं में उनके हिस्से के धन लगाने में मदद मिल सकेगी। कर बंटवारे में राज्यों का हिस्सा भी बढ़ाया गया है, क्योंकि पूर्वोत्तर भारत के राज्यों से इसकी मांग थी। राज्यों का कर में हिस्सा बढ़ाने की वजह के बारे में वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘पहली तिमाही में कर की आवक सुस्त रही है और यहां तक कि राज्यों के लिए भी यह सुस्त रही। केंद्र के स्तर पर देखें तो राज्यों की तुलना में ज्यादा संभावनाएं होती हैं।’
अभी ये शुरुआती दिन हैं, लेकिन सरकार 3 स्तर पर चिंतित है। अधिकारी ने कहा, ‘सरकार मॉनसून की स्थिति और तेल के वैश्विक दाम पर नजर बनाए रहेगी। साथ ही सुस्त वैश्विक आर्थिक वृद्धि भी चुनौती है, लेकिन यह भारत के लिए लाभदायक भी है क्योंकि तेल व खाद्यान्न की कीमत नीचे जा सकती है।’