अमेरिका में हालिया बैंकिंग संकट के मद्देनजर मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने आज कहा कि वैश्विक अनिश्चितता बढ़ रही है और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा 2023 के लिए वैश्विक वृद्धि अनुमान जनवरी में अप्रासंगिक दिखने लगा है।
नागेश्वरन ने रेटिंग एजेंसी क्रिसिल द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि सरकारों और कारोबारियों को राजकोषीय और कॉरपोरेट योजना बनाते समय सुरक्षा मार्जिन का ध्यान रखना चाहिए।
नागेश्वरन ने कहा, ‘सबसे अहम बात यह है कि जब आप अनिश्चितता के दौर से जूझ रहे हैं तो यह सुनिश्चित करना काफी महत्त्वपूर्ण होता है कि हमारे परिचालन में पर्याप्त सुरक्षा मार्जिन है। यह कंपनियों और निवेशकों के लिए महत्त्वपूर्ण है। आप राजकोषीय योजना बना रहे हों अथवा कॉरपोरेट योजना या फिर घरेलू बही खाते या बचत खाते के लिए योजना ही क्यों न हो, आपको केवल सुरक्षा मार्जिन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।’
पिछले सप्ताह अमेरिका के सिलिकन वैली बैंक वित्तीय संकट में घिर गया जो आम तौर पर स्टार्टअप और वेंचर कैपिटल फर्मों को ऋण उपलब्ध कराता था। यह लीमन ब्रदर्स के दिवालिया होने के बाद किसी बैंक के ठप होने का दूसरा सबसे बड़ा मामला है। लीमन ब्रदर्स के दिवालिया होने के कारण 2008 में मंदी आई थी। कैलिफोर्निया के बैंकिंग नियामक ने इस बैंक को बंद करते हुए फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉर्प को रिसीवर के रूप में नियुक्त किया है।
सिलिकन वैली बैंक के बाद न्यूयॉर्क का सिग्नेचर बैंक भी ठप हो गया जो आम तौर पर क्रिप्टो उद्योग को ऋण उपलब्ध कराता था।
नागेश्वरन ने कहा कि जनवरी में IMF की ओर से जारी वृद्धि अनुमान (2023 में 2.9 फीसदी की वैश्विक वृद्धि) अब अप्रासंगिक लग रहा है। उन्होंने कहा कि देशों को यह देखना होगा कि पिछले सप्ताह अमेरिका में हुए घटनाक्रम का बाजार में विश्वास, बैंक ऋण वृद्धि आदि पर क्या प्रभाव पड़ता है।
नागेश्वरन ने कहा, ‘साथ ही, यह भी देखना होगा कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए इसके क्या मायने होंगे। मैं समझता हूं कि एक तरीके से इसके प्रभाव सकारात्मक होंगे यानी मुद्राओं पर दबाव कम हो जाएगा। दूसरी ओर, अगर फेडरल रिजर्व अपने सख्त मौद्रिक कार्यक्रम के साथ आगे बढ़ता है और जमाकर्ताओं बचाने के लिए उसे कुछ अन्य व्यवस्थाएं करनी पड़ती हैं तो हमें इंतजार करते हुए यह देखना होगा कि अन्य बैंकिंग संस्थानों पर उसका क्या प्रभाव पड़ता है।’ उन्होंने कहा कि वास्तव में यह विकसित देशों के केंद्रीय बैंकों के लिए इसका सामना करना कठिन होगा।
नागेश्वरन ने कहा कि वैश्विक मांग, तेल कीमतों और अमेरिकी ब्याज दरों एवं डॉलर के लिहाज से पश्चिम में स्थिति अब भी भारत के लिए सकारात्मक होगी। उन्होंने कहा, ‘इस प्रकार की प्रतिक्रियाएं हमारे लिए आम तौर पर सकारात्मक होंगी भले ही निर्यात वृद्धि पर उसका प्रभाव क्यों न पड़े।’
नागेश्वरन ने कहा, ‘मार्च में सामान्य से अधिक तापमान का असर अभी नहीं दिख रहा है। यदि हम इसी दायरे में तापमान के साथ एक सप्ताह और गुजार देते हैं तो मैं समझता हूं कि जल्दी बुआई के कारण गेहूं की कटाई भी शुरू हो जाएगी। इससे हमें अच्छी उपज मिल सकती है। इसका मुद्रास्फीति, कृषि उपज, मौद्रिक नीति आदि के लिए सकारात्मक प्रभाव होगा।’
अगले वित्त वर्ष के बारे में नागेश्वरन ने दोहराया कि आर्थिक समीक्षा में 6.5 फीसदी के बेसलाइन वृद्धि अनुमान में बढ़त के बजाय गिरावट का जोखिम अधिक है। उन्होंने कहा कि मौजूदा परिदृश्य में 8 से 9 फीसदी की जीडीपी वृद्धि की बात करते हुए अधिक आशावादी नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘यदि आप अगले 7 से 8 वर्षों के दौरान 6.5 से 7 फीसदी या 6.4 से 7 फीसदी की वृद्धि भी हासिल कर लेते हैं तो वह बहुत अच्छा होगा।’