केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने भारत के शीर्ष क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों से डिजिटल परिसंपत्तियों, मूल्यांकन आदि का पूरा ब्योरा मांगा है। सीबीआईसी ने डिजिटल सिक्कों के प्रकार, खरीद-फरोख्त वाले टोकन, उनका मूल्यांकन और उन्हें किस प्रकार विभाजित किया जाता है आदि से संबंधित जानकारी मांगी है।
सीबीआईसी क्रिप्टो परिसंपत्तियों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाना चाहता है। वह क्रिप्टो परिसंपत्ति वर्ग की परिभाषा और वर्गीकरण पर काम कर रहा है ताकि हरेक लेनदेन मूल्य पर कर देयता का निर्धारण हो सके।
इस मामले से अवगत एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘हमने पूरे परिसंपत्ति वर्ग के संबंध में विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए क्रिप्टो एक्सचेंजों के साथ कई बैठकें की हैं। हमने खरीद-फरोख्त में शामिल विभिन्न क्रिप्टो उत्पादों पर एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। इसमें लेनदेन शुल्क और उसकी गणना के तरीके के बारे में भी जानकारी देने के लिए कहा गया है।’
अधिकारी ने कहा कि इन डिजिटल उत्पादों के मूल्य एवं लेनदेन के बारे में स्पष्टता से पता लगेगा कि उसके साथ कैसा व्यवहार होना चाहिए और उसे जीएसटी व्यवस्था में किस प्रकार समाहित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इससे यह भी निर्धारित करना आसान होगा कि क्रिप्टो उत्पादों पर कर की दरें क्या होनी चाहिए।
क्रिप्टो एक्सचेंजों को इसी महीने ब्योरा देने को कहा गया है। जीएसटी आमतौर पर मार्जिन, सेवा पर देय होता है, न कि पूरे मूल्य पर। सीबीआईसी प्रत्येक क्रिप्टो उत्पाद (सिक्के एवं टोकन) के मूल्य की जांच कर रहा है और यह देखने की कोशिश कर रहा है कि उसका लेनदेन किस प्रकार होता है। यह भी आकलन किया जा रहा है कि परिसंपत्ति वर्ग के पूरे मूल्य को कर के दायरे में लाया जाए अथवा नहीं।
डेलॉयट के पार्टनर एमएस मणि ने कहा, ‘विभिन्न क्रिप्टो लेनदेन का वर्गीकरण और उसकी कर देयता निर्धारित करना आवश्यक है क्योंकि यह उद्योग विभिन्न अधिकारियों की अलग-अलग व्याख्या पर निर्भर है। आयकर के लिहाज से भी इन व्याख्याओं में सामंजस्य स्थापित करने की आवश्यकता है।’
गौरतलब है कि क्रिप्टोकरेंसी बाजार में कई प्रकार के टोकन चलन में हैं। इनमें सबसे आम यूटिलिटी और भुगतान टोकन हैं। इनके लिए न तो कोई निवेश किया गया और न ही किसी विनियमन द्वारा गारंटी दी गई है।
फिलहाल क्रिप्टो एक्सचेंजों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवा पर 18 फीसदी जीएसटी लगाया गया है और इसे वित्तीय सेवाओं के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
इस बीच, आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) ने क्रिप्टो ऐसेट रिपोर्टिंग फ्रेमवर्क (सीएआरएफ) तैयार किया है। केंद्र सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को प्रत्यक्ष कर प्रणाली के तहत वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्ति के तौर पर परिभाषित किया है।