भारत के निजी क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में नवंबर में मजबूत वृद्धि जारी रही है। एचएसबीसी फ्लैश इंडिया कंपोजिट आउटपुट इंडेक्स बढ़कर 59.5 पर पहुंच गया जो अक्टूबर में 59.1 था। यह 3 महीने में सबसे तेज वृद्धि है, जो नए बिजनेस मिलने और निर्यात बढ़ने से हुई है।
बहरहाल इस विस्तार के साथ लागत का दबाव भी बढ़ा है और फरवरी 2013 के बाद विक्रय मूल्य में सबसे तेज वृद्धि हुई है। इसके बावजूद सर्वे में शामिल लोगों ने कारोबार में तेजी को लेकर भरोसा जताया है। फ्लैश पीएमआई (पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स) के आंकड़े अंतिम पीएमआई आंकड़ों के पहले जारी किए जाते हैं, जिससे आर्थिक गतिविधियों के शुरुआती संकेत मिल जाते हैं।
यह सर्वे में शामिल करीब 85 से 90 प्रतिशत लोगों की प्रतिक्रिया के आधार पर तैयार किया जाता है। इससके कारोबारी धारणा और आर्थिक स्थिति की एक झलक मिल जाती है। नवंबर के अंतिम आंकड़े 4 दिसंबर को जारी होंगे।
नवंबर में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि में मामूली कमी आई है। विनिर्माण पीएमआई उत्पादन सूचकांक गिकर 60.2 पर आ गया है, जो अक्टूबर में 60.4 पर था। कुल मिलाकर विनिर्माण पीएमआई, जो फैक्टरी कारोबार की स्थिति दर्शाता है, मामूली गिरकर 57.3 पर है, जो अक्टूबर में 57.5 था। इसके बावजूद विनिर्माण, वृद्धि का मुख्य चालक है, जिसे मजबूत मांग और निर्यात की बिक्री से बल मिला है।
सेवा क्षेत्र में की वृद्धि में सुधार हुआ है। सेवा पीएमआई कारोबारी गतिविधि सूचकांक बढ़कर नवंबर में 59.2 हो गया है, जो अक्टूबर में 58.5 था। दिसंबर 2005 में सर्वे शुरू होने के बाद से सेवा क्षेत्र के रोजगार में सबसे तेज वृद्धि दर्ज की गई है और विनिर्माण क्षेत्र में नौकरियों का सृजन पीछे छूट गया है।
विनिर्माण व सेवा दोनों ही क्षेत्रों में नए ऑर्डर में बढ़ोतरी हुई है। इससे तेज घरेलू मांग और एशिया, यूरोप और अमेरिका में बढ़े निर्यात से समर्थन मिला है। सेवा फर्मों की तुलना में विनिर्माण फर्मों ने अंतरराष्ट्रीय बिक्री में थोड़ी मजबूत वृद्धि दर्ज की है।
एचएसबीसी में चीफ इंडिया इकोनॉमिस्ट प्रांजुल भंडारी ने कहा, ‘मजबूत अंतिम मांग और कारोबारी स्थिति में सुधार से सेवा क्षेत्र में रोजगार को बल मिला है और यह दिसंबर 2005 में यह संकेतक लागू होने के बाद के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। बहरहाल विनिर्माताओं द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे कच्चे माल की कीमत का दबाव बढ़ रहा है और साथ ही सेवा क्षेत्र में खाद्य और वेतन की लागत बढ़ी है।’